अमृतसर:दुबई में नौकरी वादा, पाकिस्तान में बेचा, सड़कों पर काटी रातें, 22 साल बाद भारत लौटीं हामिदा, रुला देगी ये कहानी
22 साल बाद कराची से हामिदा बानो भारत लौट आईं है। कई सालों की मुश्किलों के बाद सोमवार को वो अटारी बॉर्डर पर अपने परिवार से मिलीं। हामिदा कर्नाटक में पैदा हुईं और बचपन में ही अपने परिवार वालों के साथ मुंबई आ गईं। 2002 में वो कतर के दोहा में खाना बनाने का काम करने गईं। कुछ महीनों वहां काम करने के बाद वो भारत लौट आईं। उसी साल एक एजेंट ने उन्हें दुबई में नौकरी दिलाने का वादा किया, लेकिन उन्हें पाकिस्तान के सिंध में बेच दिया। वो वहां तीन महीने तक रही, फिर वहां से भागकर कराची पहुंच गईं। कराची की सड़कों पर रहने से लेकर एक छोटी सी दुकान चलाने तक हामिदा ने बहुत कुछ झेला।
आखिरकार उन्होंने एक पाकिस्तानी डार मुहम्मद से शादी कर ली। उनके दो बच्चे भी हैं। 2019 में डार मुहम्मद का निधन हो गया। फिर वो यूट्यूबर वल्लीउल्लाह मारूफ से मिलीं, जिन्हें वो अपनी जिंदगी बदलने का श्रेय देती हैं। हामिदा की कहानी दर्द और उम्मीद से भरी है। मानव तस्करी का शिकार हुईं और पाकिस्तान के कराची में 22 साल बिताने के बाद, आखिरकार वो अपने घर भारत लौट आईं। ये उनके परिवार के साथ एक भावनात्मक पुनर्मिलन था।
यूट्यूबर ने बच्चों को सामान बेचते देखा
हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को 30 साल के वल्लीउल्लाह ने बताया कि बचपन में वो स्कूल जाते समय हामिदा को अक्सर बच्चों को टॉफियां और छोटी-मोटी चीजें बेचते हुए देखते थे। 2022 में वल्लीउल्लाह ने हामिदा का इंटरव्यू लिया। हामिदा ने बताया कि कैसे उन्हें बैंगलोर की एक और भारतीय महिला शहनाज़ के साथ कराची लाया गया था। उनका ये वीडियो सोशल मीडिया वीडियो पर वायरल हो गया। उनकी भारतीय बेटी यास्मीन और परिवार के दूसरे सदस्यों ने वीडियो कॉल के जरिए उनसे संपर्क किया। हामिदा की पहचान की पुष्टि के बाद, इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग ने कराची से लाहौर तक के लिए हवाई टिकट दिए। फिर उन्हें वाघा बॉर्डर ले जाया गया और आखिरकार भारत वापस भेज दिया गया।
पाकिस्तानी यूट्यूबर ने बताया जिंदगी का सबसे खुशी का दिन
वल्लीउल्लाह ने TOI को बताया, कि आज मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन है। सारी नफरत, धार्मिक और राष्ट्रीय मतभेद इंसानियत से दूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हामिदा की बेटियां, यास्मीन और परवीन लगातार उनके संपर्क में थीं और वो अपनी मां के लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। शहनाज के बारे में पूछे जाने पर, वल्लीउल्लाह ने कहा कि उसने भी एक पाकिस्तानी आदमी से शादी की थी, जिसका अब निधन हो चुका है। अब एक छोटे से कमरे में अकेली रहने वाली शहनाज़ की हालत बहुत खराब थी। वल्लीउल्लाह ने कहा कि वो बहुत लाचार थी, मैं उसका किराया दे रहा था और उसे भारत वापस लाने की कोशिश कर रहा था।
शहनाज को भी भारत वापस लाने की कोशिश
हामिदा की कहानी, मानव तस्करी के शिकार लोगों की मुश्किलों को दिखाती है। यह उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी है जो अपने परिवार से बिछड़ गए हैं। वल्लीउल्लाह की कोशिशों ने हामिदा को नई ज़िंदगी दी। वो अब शहनाज़ को भी भारत वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कहानी इंसानियत और मदद की भावना का एक बेहतरीन उदाहरण है।
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