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Thursday, March 3, 2022

उत्तर प्रदेश: लखनऊ: हर तरह की तकलीफ से गुजर रहे युद्ध में फंसे भारतीय स्टूडेंट...किसी का गुम हुआ सामान तो कई के फोन की बैटरी हुई लो

उत्तर प्रदेश: लखनऊ: हर तरह की तकलीफ से गुजर रहे युद्ध में फंसे भारतीय स्टूडेंट...किसी का गुम हुआ सामान तो कई के फोन की बैटरी हुई लो 

यूक्रेन में फंसे रहे कई छात्र रोमानिया और हंगरी के शेल्टर होम में पहुंचने के बाद वतन वापसी के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। इन शेल्टर होम में भी उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। गोरखपुर के कृष्णानगर निवासी अभिष्ट कुमार पाण्डेय 27 फरवरी से रोमानिया के शेल्टर होम में फंसे हैं। इससे पहले यूक्रेन बॉर्डर पर उनका बैग भी चोरी चोरी हो गया। लिहाजा, भीषण सर्दी में एक जोड़ी कपड़े में रातें बितानी पड़ रही हैं।

अभिष्ट यूक्रेन के विन्नित्सिया शहर के नेशनल पिरोगोव मेमोरियल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर में छात्र हैं। उनके पिता रमेश कुमार पाण्डेय रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजिनियर हैं। रमेश के मुताबिक, अभिष्ट ने फोन पर बताया कि वह 24 फरवरी को यूक्रेन से जान रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले थे। बॉर्डर पर काफी भीड़ होने से लगेज एक किनारे रख दिया और दूतावास के अधिकारियों से वीजा प्रोसेस करवा रहे थे, लेकिन वापस लौटे तो शेल्टर होम से लगेज गायब था। बैग में गर्म कपड़ों के साथ जरूरी दस्तावेज भी थे, जो चोरी हो गए। अब रोमानिया प्रशासन ने एक शेल्टर होम में रखा है। वहीं, भारतीय दूतावास से अब तक यह सूचना भी नहीं मिली है कि उनकी वतन वापसी की फ्लाइट कब आएगी।

खारकीव स्टेशन पर खुले आसमान में रहने को मजबूर
फैजुल्लागंज की रहने वाली आकांक्षा सिंह यूक्रेन के खारकीव में फंसी हैं। ट्रेन के इंतजार में वह कई साथियों संग खारकीव के रेलवे स्टेशन पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। फोन पर बातचीत के दौरान आकांक्षा ने मां बबिता को बताया कि खारकीव में लगातार हमलों की लगातार आवाज आ रही है। खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। लगातार बर्फ गिर रही है और पारा भी गिर रहा है। ठंड के कारण उनके साथ के कई छात्र-छात्राओं की तबीयत खराब हो गई हैं।

बेटी का हाल पूछने पर बबिता की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बताया कि आकांक्षा ने बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखा था। इस सपने को पूरा करने के लिए उसे पढ़ाई के लिए विदेश भेजा। साल 2018 में पूरा परिवार उसे एयरपोर्ट पर छोड़ने गया था। परिवार के सदस्यों में खुशी थी। जब से हमले की सूचना मिली है, पूरा ध्यान बच्ची पर लगा है। घर के सदस्यों का किसी काम में मन नहीं लग रहा। उससे दिन में एक बार ही बात हो पा रही है। जब कॉल आती है तो वह मोबाइल की बैटरी बचाने के लिए जल्दी-जल्दी बात कर फोन काट देती है।

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