मध्य प्रदेश: सरकारी प्राथमिक विद्यालय की छात्राओं के हाथ कॉपी-किताब की जगह थमा दी जाती है झाड़ू
प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को लेकर आए दिन बड़े-बड़े दावे करती है। शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है। सरकार दावा करती है कि गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सकें। इसके लिए सरकार मुफ्त किताबें, ड्रेस, जूते, मोजे, स्वेटर और मध्यान्ह भोजन बच्चों को उपलब्ध कराती है, लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते नौनिहालों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है।
अनूपपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोड़ी चोड़ी से ऐसा ही मामला सामने आया है। इस विद्यालय में शिक्षक समय पर नहीं आते, बल्कि मर्जी से आते हैं। शिक्षकों का रवैया ऐसा है कि उनके आने के पहले बच्चे विद्यालय पहुंचकर झाड़ू लगाकर साफ सफाई करते हैं।
इस विद्यालय में बच्चे किताबों की बजाए झाड़ू लगाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे है। चोड़ी पोड़ी के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छ भारत मिशन का असर शिक्षकों पर कम, बच्चों पर ज्यादा दिख रहा है।
अनूपपुर के जिला शिक्षा अधिकारी टी आर आर्मो से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह गलत है। छोटे बच्चों से झाड़ू लगवाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वे इस बारे में संकुल प्राचार्य से बात करेंगे। स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि साफ-सफाई को।
प्रदेश के कई विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ इसी तरह खिलवाड़ होता है, लेकिन इनमें से अधिकांश मामले दबे रह जाते हैं। देखना यह है कि इस मामले में दोषी शिक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
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