मध्य प्रदेश: ये है बैलेंसिंग रॉक, 6.2 की तीव्रता वाला भूकंप भी इसे नहीं हिला पाया, दुनिया के लिए रहस्य
संस्कारधानी के नाम से मशहूर एमपी के जबलपुर में एक बैलेंसिंग रॉक है। बैलेंस ऐसा कि बड़े से बड़े भूकंप के झटके भी इसे आज तक नहीं हिला पाया है। इसी रहस्य को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। खासकर छुट्टी के दिनों पर्यटकों की यहां भीड़ काफी उमड़ती है। सालों से यह पत्थर एक ही स्थान पर टिक हुआ है। कई विशेषज्ञों ने इसके रहस्य को सुलझाने की कोशिश की है। उनका जवाब यहीं होता है कि यह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण टिका हुआ है।
22 मई 1997 को आए भूकंप ने जबलपुर में भारी तबाही मचाई थी। कई इमारत भूकंप के झटकों से जमींदोज हो गए थे। 40 लोगों की मौत हुई थी। पूरे शहर में एक बैलेंसिंग रॉक ही था, जिस पर भूकंप के झटकों का कोई असर नहीं पड़ा था। 1997 में आए भूकंप की तीव्रता 6.2 थी। मगर यह पत्थर अपने स्थान से डगमग नहीं हुआ था। यहीं वजह है कि इसे बैलेंसिंग रॉक कहा जाता है।
जबलपुर शहर ग्रेनाइट चट्टानों के लिए विश्वविख्यात है। शहर ग्रेनाइट की चट्टानों से घिरा हुई है। इन्हीं ग्रेनाइट चट्टानों के बीच में स्तिथ मदन महल की पहाड़ियों में रानी दुर्गावती का किला है। रानी दुर्गावती के किले के पास ही बैलेंस रॉक स्थित है। इस बैलेंस रॉक को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं।
जबलपुर में यह पत्थर हजारों साल से ऐसे ही हैं। पुरातत्वविद बताते हैं कि ये चट्टानें मैग्मा के जमने से निर्मित हुई होंगी। विज्ञान के भाषा में इसे ग्रेनाइट बॉक्स भी कहा जाता है। जबलपुर के आसपास के इलाकों में कई बैलेंसिंग रॉक हैं। पुरातत्वविद यह भी मानते हैं कि भूकंप के लिहाज से जबलपुर काफी संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में कुछ लोग यह भी दलीत देते हैं कि यह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यहां टिका हुआ है।
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