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Saturday, August 7, 2021

उत्तर प्रदेश: गाजियाबाद-मां का दूध पिया है तो...एंटी बॉडी भी मिल गई, कोरोना मरीजों की स्टडी से आया सामने

उत्तर प्रदेश: गाजियाबाद-मां का दूध पिया है तो...एंटी बॉडी भी मिल गई, कोरोना मरीजों की स्टडी से आया सामने 

मां का दूध पिया है तो...रुकिए-रुकिए, यहां हम किसी को लड़ाई के लिए नहीं ललकार रहे। बात हो रही है कि मां का दूध पिया है तो इम्युनिटी मजबूत होना तय है। शिशु को संक्रमण से बचाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मां का दूध मदद करता है। वहीं, स्तनपान से रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा भी कम रहता है।

पूरे विश्व में 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। ऐसे में इस साल स्तनपान के फायदे पर बात इसलिए ज्यादा जरूरी है, क्योंकि कोरोना काल में सबकुछ बदल गया है। तनाव व अन्य चीजों का असर गर्भवती महिलाओं पर भी हुआ और सिर्फ टीएचए में 50 से अधिक महिलाओं की समय से पहले डिलिवरी करनी पड़ी। 70 से ज्यादा महिलाएं ऐसी रहीं, जिनकी डिलिवरी कोविड पॉजिटिव रहने के दौरान हुई। सीनियर कंसलटेंट डॉ दीपिका बताती हैं कि इस बीच 6 महीने मिलने वाले मां के दूध ने बच्चे को तंदुरुस्त रखा और बच्चे को मां से एंटी बॉडी भी प्राप्त हुई।

मां को मिली मानसिक मजबूती
कौशांबी के यशोदा अस्पताल में कोरोना काल में ऐसे 20 केस आए, जिसमें प्रीमैच्योर डिलिवरी या फिर कोविड पॉजिटिव महिला का प्रसव करवाया गया। दोनों ही केस में असर बच्चे पर भी देखने को मिला। इन सभी दुष्प्रभावों पर जीत पाने में मां का दूध महत्वपूर्ण रहा। सीनियर कंसलटेंट डॉ दीपिका बताती हैं कि ऐसे में बच्चे को सभी सावधानियां बरतते हुए मां का दूध जरूर दिया गया। असर ऐसा हुआ कि बच्चे की कमजोरी जल्दी दूर हुई और मां को भी मानसिक मजबूती मिली।

इंफेक्शन का खतरा हो गया कम
डॉ़ दीपिका रस्तोगी ने बताया कि प्रीमैच्योर डिलिवरी में बच्चों को इंफेक्शन का खतरा होता है। ब्रेस्ट फीडिंग से उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जो उसे इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज, मिनरल, विटामिन बच्चों को मजबूत बनाते हैं। कई बार दूध न बन पाने के कारण मां के लिए बच्चे को दूध पिलाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में ब्रेस्ट फीडिंग पूरी तरह बंद न करें। थोड़ी-थोड़ी देर बाद कोशिश करते रहें। इस तरह दूध बनने में आसानी होगी।

कोविड निगेटिव होते ही हुआ प्रसव
वृंदावन गार्डन की इंदिरा शर्मा का कहना है, 'मई में कोविड पॉजिटिव थी। मेरी डिलिवरी भी होनी थी। परेशान हो गई थी। यही सोच रही थी कि डिलिवरी कैसे होगी। कहीं बच्चे को भी कोरोना न हो जाए। इसी में स्ट्रेस भी ले लिया। रिपोर्ट निगेटिव आते ही मुझे प्रीमैच्योर डिलिवरी करवानी पड़ी। मैं डायबिटिक भी थी। डॉ आरके शर्मा ने पूरा मार्गदर्शन दिया। डॉक्टर की सलाह पर मैंने अपने बच्चे को दूध पिलाया। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।'

बच्चा और मैं, दोनों हैं स्वस्थ
लोनी की कमलाक्षी सिंह बताती हैं, 'मैंने एक दिन में 6 से 8 बार बच्चे को दूध पिलाना जारी रखा। डॉक्टर की सलाह पर पहला दूध भी जरूर पिलाया, जिससे बच्चे में भी एंटी बॉडी पहुंची। मेरी रिपोर्ट निगेटिव आने के एक सप्ताह बाद मेरी डिलिवरी हुई थी। एंटी बॉडी बन चुकी थी, जो बच्चे के शरीर में भी पहुंची। अब बच्चा और मैं दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। जिन भी माताओं ने कोविड के बाद बच्चे को जन्म दिया है, उनसे सिर्फ यही कहूंगी कि अपना दूध बच्चे को पिलाती रहें।'
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