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Saturday, August 7, 2021

उत्तर प्रदेश: प्रयागराज-खतरे के निशान पर बह रही गंगा और यमुना नदी... प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आगरा में बाढ़ का खतरा

उत्तर प्रदेश: प्रयागराज-खतरे के निशान पर बह रही गंगा और यमुना नदी... प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आगरा में बाढ़ का खतरा 

उत्तर प्रदेश में नदियां उफान पर हैं। बरसात के मौसम में गंगा और यमुना नदियां खतरे के निशान को छू रही हैं। आगरा में यमुना नदी के चंबल बेल्ट से लेकर कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और बलिया तक गंगा नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। तटवर्ती गांवों को खाली कराने के साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।

कानपुर में उफान पर नदियां, शहर के लिए खतरे की घंटी
कानपुर में गंगा बैराज से छोड़े गए करीब 2.5 लाख क्यूसेक पानी से घाटों की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। पुलिस ने पोस्टर लगाकर लोगों को सिर्फ किनारे नहाने की चेतावनी दी है। वहीं घाटमपुर तहसील में यमुना में आई बाढ़ से कई गांव पानी में घिर गए हैं। लोग सुरक्षित जगहों पर पलायन करने लगे हैं। शहर के अटल घाट और सरसैया घाट पर पानी काफी ऊपर तक आ गया। कानपुर में अपस्ट्रीम में पानी का स्तर 113.12 मीटर और डाउनस्ट्रीम में 112.86 मीटर पर है। शुक्लागंज में फिलहाल जलस्तर 111.83 मीटर पर है। इसके 113 मीटर पर पहुंचते ही कानपुर नगर के लिए खतरे की घंटी चेतावनी बिंदु बज जाएगी।

वहीं घाटमपुर तहसील के यमुना तटवर्ती 2 गांव गड़ाथा और कटरी के पूरे पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गए हैं और एक दर्जन गांवों में आने-जाने के रास्ते पर पानी आ गया है। ग्रामीणों के अनुसार, यमुना के जलस्तर में हर घंटे इजाफा हो रहा है। तटों पर बसे गांव कटरी, काटर, गड़ाथा, महुआपुरवा, कोटरा, समुही, रामपुर, कोटरा, बीरबल का अकबरपुर, मऊ नखत, असवारमऊ आदि गांव पानी की चपेट में हैं। गड़ाथा और कटरी के पूरे के निवासियों को प्राइमरी स्कूल में जगह दिलवाई गई है। मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम किया गया है। इन दोनों गांवों में करीब 10 फुट तक पानी भर गया है।

आगरा में 38 गांव बाढ़ के पानी में डूबे, सैकड़ों परिवार बेघर
आगरा जिले में चंबल के किनारे बसे लोगों को बाढ़ से कोई राहत नहीं मिल रही है। बाह पिनाहट क्षेत्र में चंबल नदी के जलस्तर में कमी आई है, लेकिन यहां के गांवों में बाढ़ के हालात अभी बने हुए हैं। चंबल नदी के तटवर्ती 38 गांव बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं। घरों, स्कूलों, पंचायत घर, झोपड़ियों और खेत-खलिहानों में पानी भर गया है। तहसील मुख्यालय से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। ग्रामीणों ने अपने बच्चों और पालतू पशुओं के साथ गुरुवार की रात बीहड़ के ऊंचे टीलों पर गुजारी। प्रशासन ने ग्रामीणों तक राशन और अन्य खाद्य सामग्री पहुंचाने का दावा किया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन तक प्रशासन की मदद नहीं पहुंची है।

बाढ़ में घिरे गांवों के लोगों को प्रशासनिक टीमों ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। पिनाहट घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से पीएससी तैनात कर दी गई है। आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह, एसएसपी मुनिराज और विधायक पक्षालिका सिंह नदी का निरीक्षण करने पिनाहट घाट पर पहुंचे। उमरैठापुरा में बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया गया है। गुढा गोहरा, रानीपुरा और भटपुरा आदि गांवों में पानी भर गया है। यहां मोटर बोट चलाई जा रही हैं। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि खाद्य सामग्री का संकट पैदा हो गया है। बच्चों के लिए भरपेट भोजन और पशुओं के लिए चारा नहीं है। शासन-प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं की जा रही है।

प्रयागराज में डेंजर लेवल पर नदियां, निचले इलाकों में भरा पानी
प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां पूरे उफान पर हैं। दोनों नदियां डेंजर लेवल से करीब एक मीटर नीचे बह रही हैं। नदियों के उफनाने से बाढ़ का पानी तटीय इलाकों में घुसने लगा है। प्रयागराज की सदर तहसील, सोरांव, फूलपुर, हंडिया, बारा, करछना और मेजा के साथ ही कई अन्य तहसीलों में भी गंगा और यमुना किनारे बसे गांवों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

प्रयागराज में दारागंज इलाके में संगम से नागवासुकी मंदिर को जाने वाली सड़क पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। गंगा किनारे बनी झोपड़ियां पानी में डूब गई हैं। सड़क के दूसरे किनारे बने पक्के मकानों भी लगभग 5 फीट तक पानी भर गया है। प्रशासन बाढ़ से प्रभावित लोगों को बाढ़ राहत शिविरों में विस्थापित कर रहा है। अभी भी कुछ लोग अपने आशियाने में मौजूद हैं। उनसे भी प्रशासन लगातार बाहर निकलकर राहर शिविरों में जाने की अपील कर रहा है।

वाराणसी में खतरे के निशान के करीब पहुंची गंगा
वाराणसी में उफनती गंगा खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। जलस्‍तर में लगातार तेज बढ़ोतरी से लोग सहमे हैं। गंगा की सहायक नदी वरुणा में भी पलट प्रवाह से किनारे की बस्तियों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। शहर के बीच से गुजरने वाली वरुणा में गंगा के पलट प्रवाह से किनारे बसे मोहल्‍लों के मकानों में पानी घुस गया है। पलायन के बीच लोगों ने पहली मंजिल पर शरण ली है। उधर, गंगा में बढ़ाव से वाराणसी शहर से दूर चौबेपुर के ढाब इलाका टापू बनने को है। चिरईगांव, मुस्‍तफाबाद, रेतापार के खेतों में रोपा गया धान और सब्‍जी की खेती बाढ़ के पानी में डूबने लगी है।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार वाराणसी में गंगा का जलस्‍तर 6 सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। शुक्रवार शाम जलस्‍तर 69.76 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 40.26 से महज 50 सेंटीमीटर और खतरे के निशान 71.26 से से करीब डेढ़ मीटर ही दूर है। चेतावनी बिंदु के पास गंगा के पहुंचने से तटवर्ती क्षेत्रों में अफरा तफरी मची है। चेतावनी बिंदु पार करते ही बाढ़ का पानी दशाश्‍वमेध और अस्‍सी घाट से शहर में प्रवेश कर जाएगा। इसके अलावा शहर की नगवा इलाके की बस्तियों और सामने घाट की कॉलोनियों की ओर भी बाढ़ का पानी बढ़ने लगा है।


बलिया में लाल निशान से ऊपर गंगा नदी
बलिया में गंगा का जलस्‍तर खतरे के निशान को पार करने के बाद भी बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक शुक्रवार की सुबह जलस्‍तर 58.26 मीटर रहा, जो खतरे के निशान से 65 सेंटीमीटर ऊपर है। गाजीपुर में चेतावनी बिंदु 62.10 को पार कर खतरे के निशान की ओर है। वहीं, मीरजापुर में चेतावनी बिंदु से करीब डेढ़ मीटर नीचे हैं। सभी जगहों पर लगातार तेज बढ़ाव को देखते हुए जिला प्रशासन को सचेत किया गया है।

लखीमपुर खीरी में शारदा ने कई खेतों का किया कटान
लखीमपुर खीरी के गोला तहसील के बिजुआ इलाके में शारदा नदी का कहर जारी है। यहां बीते 3 दिन से कटान में काफी तेजी आ गई है। शुक्रवार को शारदा नदी ने बिजुआ के पूर्व प्रधान अमेरिकन बिट्टू के खेत में कटान की। पास में ही यशपाल सिंह के परिवार का खेत में खड़ा गन्ना नदी में समा रहा है। शारदा नदी के कटान को रोकने के लिए सिंचाई महकमा तीन स्थान पर राहत कार्य मे लगा है। हालांकि नदी जिस तेजी से कटान कर रही है उससे ग्रामीणों के मन में डर समाया हुआ है। पिछले 10 दिनों में दक्षिण तट की ओर शारदा नदी में सैकड़ों एकड़ जमीन समा चुकी है। लगातार कटान को देखते हुए नया दुबहा गांव के लोग पलायन की तैयारी में हैं। तमाम ग्रामीण अपना सामान समेटने की तैयारी में हैं।
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