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Tuesday, August 3, 2021

उत्तर प्रदेश: अयोध्या-अवध की लोकभाषा दुनिया को सिखाएगा 'अवध विश्वविद्यालय'

उत्तर प्रदेश: अयोध्या-अवध की लोकभाषा दुनिया को सिखाएगा 'अवध विश्वविद्यालय' 

डॉ. राममानोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Awadh University) जहां एक ओर श्रीराम शोध पीठ के माध्यम से रामायण और श्रीराम पर शोध कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय अवध की लोकभाषा दुनिया को सिखाने के लिए आगे आया है। अवध की शान अवध विश्वविद्यालय अब लोगों को अवधी भाषा सिखाएगा। अवधी भाषा जानने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यहां अवधी भाषा में पीजी डिप्लोमा की डिग्री उप्लब्ध है।

अवध की क्षेत्रीय भाषा एवं संस्कृति के उत्थान के लिए डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने एक कदम और बढ़ते हुए विश्वविद्यालय में अवधी और भोजपुरी भाषा में एक वर्ष के डिप्लोमा के पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी है। अब विद्यार्थी अवधी एवं भोजपुरी भाषा के जरिए अवध की सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित हो सकेंगे।

अवधी एक प्राचीन भाषा है: राजेश
अवधी एवं भोजपुरी विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ. राजेश सिंह कुशवाहा ने आज के समय में अवधी भाषा का महत्व बताते हुए कहा कि ये हमारी धर्म और संस्कृति से जुड़ी एक प्राचीन भाषा है। जिसका साहित्य भी अवधी भाषा में देखने को मिलता है, जैसे रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखी गई है। उन्होंने बताया कि अयोध्या और अवधी का समकालीन इतिहास है। अवधी भाषा अवध की संस्कृति की पहचान है।

डॉ. कुशवाहा आगे बताते हैं कि भाषाएं क्षेत्रीय सभ्यता और संस्कृति को साथ लेकर चलती हैं। इसलिए जैसे-जैसे लोग अयोध्या के महत्व से परिचित होंगे, वैसे वैसे अवधी भाषा भी आगे बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि पूर्व की अपेक्षा अब और भी अधिक लोग अवधी भाषा और अवध की संस्कृति और परम्पराओं से परिचित हो रहे हैं। अवधी एवं भोजपुरी विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ. राजेश ने ये भी कहा कि हालांकि इसका लिखित में अभी तक कोई प्रमाणिक इतिहास नहीं है, लेकिन रामचरित मानस इसका सबसे पुराना काव्य संग्रह है, जो की अवधी भाषा में ही है।

'क्षेत्र के विकास के साथ भाषा का विकास होगा'
विश्वविद्यालय में नवसंचालित अवधी एवं भोजपुरी भाषा के पाठ्यक्रम की महत्ता पर बोलते हुए डॉ. कुशवाहा ने कहा कि अवधी क्षेत्रीय भाषा जरूर है, लेकिन ये दिन प्रतिदिन व्यापक हो रही है। भाषा क्षेत्र विशेष की संस्कृति और विशेषताओं को साथ लेकर चलती है। क्षेत्र का विकास होगा तो उस क्षेत्र की भाषा का भी विकास होगा। यहां के लोगों और संकृति के बारे में लोग जानेंगे। यहां के खान-पान रहन-सहन के बारे में लोग जानेंगे। यहां कई चीजें ऐसी बनती हैं। जिनके बारे में लोग नहीं जानते हैं, लेकिन जब संस्कृति और साहित्य के साथ जुड़कर चीजें आगे बढ़ेंगी तो लोग परिचित होंगे और लोगों का विकास होगा।

'अवधी कोर्स के लिए आवेदन तिथि बढ़ी'
अयोध्या के भविष्य को लेकर आशान्वित डॉ. कुशवाहा ने कहा कि अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय स्थल बनने जा रहा है। अब अयोध्या में सांस्कृतिक गतिविधियां निरंतर देखने को मिलेंगी। उन सांस्कृतिक गतिविधियों को जब प्रस्तुत करना होगा तो उसमें अवधी की जरूरत पड़ेगी। उसमें प्रस्तोता की भी जरूरत पड़ेगी। यदि प्रस्तोता अवधी में वार्तालाप करेगा तो कार्यक्रम अधिक असरकारक होगा। अवधी में पीजी डिप्लोमा में प्रवेश लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया जारी है। आवेदन की तिथि 15 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की साइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
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