महाराष्ट्र: लकी ड्रॉ में निकला 16 करोड़ का इंजेक्शन! स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी से पीड़ित था मासूम
"जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, यह कहावत नासिक में रहने वाले दो साल के बच्चे शिवराज पर बिल्कुल सटीक बैठती है। शिवराज की कहानी भी किसी मिसाल से कम नहीं है। मुंबई की तीरा कामत की तरह नासिक का शिवराज भी एक गंभीर जेनेटिक डिसॉर्डर का शिकार था।
डॉक्टरी भाषा में इस बीमारी को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी कहते हैं। यह बीमारी भारत में बेहद कम पाई जाती है। लिहाजा हिंदुस्तान में इसका इलाज संभव नहीं है। इस बीमारी के शिकार मरीजों को 16 करोड़ रुपए के महंगे इंजेक्शन की खुराक से जीवनदान दिया जाता है और यह दवाई अमेरिका से आती है।
टूट रही थी उम्मीद
डॉक्टरों ने शिवराज के पिता विशाल डावरे को भी इस इंजेक्शन के बारे में बताया और पैसों का बंदोबस्त करने के लिए कहा। लेकिन इंजेक्शन की रकम सुनकर ही शिवराज के माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें लगा कि इतनी बड़ी रकम का इंतजाम तो वे अपना घर-बार बेचकर भी नहीं कर पाएंगे।
लकी ड्रॉ में निकली जिंदगी
शिवराज के मां-बाप ने अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने की लगभग सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इलाज करने वाले डॉक्टर ने पीड़ित परिवार को यह बताया कि अमेरिका में इस इंजेक्शन को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान में एक लकी ड्रॉ निकालती है। जिसके तहत तमाम आवेदकों में से एक व्यक्ति को यह इंजेक्शन मुफ्त में दिया जाता है।
यह जानने के बाद शिवराज के माता-पिता ने भी इस लकी ड्रॉ में अपना नाम शामिल कर दिया। किस्मत जैसे शिवराज को बचाने के लिए आगे-आगे चल रही थी। लकी ड्रॉ में शिवराज जिंदगी की जंग जीत गया और उसे 16 करोड़ का इंजेक्शन मुफ्त में मिल गया। इसी साल 19 जून को हिंदुजा अस्पताल में शिवराज को यह लाइफ सेविंग इंजेक्शन लगा है।
स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी से पीड़ित था बच्चा
मूल रूप से महाराष्ट्र के नासिक जिले के सिन्नर तहसील में विशाल और किरण डावरे अपने बेटे शिवराज के साथ रहते थे। साल 2019 में जब उन्हें बेटे के रूप में शिवराज की सौगात मिली थी तो उनके परिवार में खुशियां ही खुशियां थीं। लेकिन 6 महीने बाद यह खुशियां गायब हो चुकी थीं। क्योंकि शिवराज एक ऐसी जानलेवा बीमारी का शिकार हो चुका था। जिसका इलाज हिंदुस्तान में संभव नहीं था।
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