उत्तर प्रदेश: अयोध्या-'राम नाम की राजनीति है...जीत सके तो जीत', आखिर सबके लिए अयोध्या इतना अहम क्यों है?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अयोध्या एक बार फिर राजनीति के केंद्र में है। राम की नगरी में होने वाली किसी भी राजनीतिक हलचल का असर प्रदेश के दूसरे इलाकों पर भी पड़ता है। पूर्वांचल से लेकर प्रदेश के बाकी हिस्सों तक अयोध्या के जरिए सीधा संदेश पहुंच जाता है।
बीएसपी के प्रबुद्ध सम्मेलन में जय श्रीराम
शुक्रवार को बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या से ही अपनी पार्टी के प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत की। ब्राह्मण समुदाय के लिए खास तौर से अयोध्या की अहमियत रही है। इस सम्मेलन के दौरान जय श्रीराम के नारे गूंजते दिखाई दिए।
20 से ज्यादा बार आ चुके सीएम योगी
रविवार को बारी थी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की। वह यहां विकास योजनाओं का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। सोमवार को डेप्युटी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा अधिकारियों से विकास प्रोजक्ट्स की समीक्षा करने के लिए राम की नगरी में पहुंचे। पिछले साढ़े चार साल के दौरान योगी 20 से ज्यादा बार अयोध्या आ चुके हैं। इससे बीजेपी के लिए इस जगह की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। दूसरी पार्टियां के लिए भी अयोध्या महत्वपूर्ण है और वे इसे भुनाने की कोशिश में दिख रही हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अयोध्या में मजबूत मौजूदगी सभी के लिए अहम है।
नई अयोध्या पर बीजेपी सरकार का जोर
बीजेपी सरकार अयोध्या को नए विकसित शहर के रूप में प्रचारित करना चाहती है। इंटरनैशनल एयरपोर्ट, वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन और रामायण सर्किट के तहत दूसरे प्रोजेक्ट्स पर यहां तेजी से काम चल रहा है। जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यूपी सरकार के अयोध्या के लिए बनाए डेवलपमेंट प्लान की समीक्षा की थी।
अखिलेश यादव भी आएंगे अयोध्या
इस होड़ में समाजवादी पार्टी भी ज्यादा पीछे नहीं है। सपा नेता और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडे ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'संसद सत्र के बाद हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी राज्य का दौरा शुरू करेंगे। वह अयोध्या भी आएंगे।' सपा और आम आदमी पार्टी लगातार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन सौदों में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं।
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