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Wednesday, July 7, 2021

चीन को हराने के लिए भारत को साइबर आक्रमण की क्षमता बढ़ानी होंगी.......

     


 चीन और पाकिस्तान से दोहरी सैन्य चुनौती के मुकाबले की रणनीति पर काम कर रहे भारत को सामरिक विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि चीन को सामरिक रूप से मात देने के लिए भारत को साइबर स्पेस में आक्रमण करने की क्षमता जल्द से जल्द हासिल करनी होगी।

जाने माने रणनीतिक चितक हर्ष वी. पंत ने पंद्रह देशों में रणनीतिक विषयों पर काम करने वाले संगठन इंटरनेशनल इंस्टीटाूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए एक लेख में कहा है कि भारत की सारी साइबर ता़कत पाकिस्तान के ि़खला़फ लग रही है। जबकि बगल में मौजूद चीन साइबर डोमेन में घातक हमले कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सामरिक रणनीति का केन्द्र बहुत पहले से पाकिस्तान पर रहा है जिससे हमारे संस्थान भी पाकिस्तान केंद्रीय हैं।

लेकिन बदलते वत्त में पाकिस्तान और चीन को अलग-अलग देखना गलत है।

भारत के लिए टू प्रंट वॉर वाली स्थिति है। कईं ची़जें चीन खुद नहीं करेगा, लेकिन उसकी ओर से पाकिस्तान करेगा। इसलिये भारत के लिए पाकिस्तान को चीन के प्रॉक्सी के रूप में देखना जरूरी हो गया है। हालांकि पिछले साल गलवान की घटना के बाद से माइंडसेट बदल रहा है और हमने देखा है कि वैसे हर क्षेत्र में अब फोकस चीन पर है। श्री पंत प्रधान ने अध्ययन में भारत की साइबर युद्ध की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि भारत के पास साइबर वॉर के मामले में तैयारी कम और कमियां ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि चीन और पाकिस्तान, दोनों देश सामान्य देश नहीं हैं। एक तरफ है पाकिस्तान, जहां सेना बेहद ताकतवर है और एक तरह से वही स्टेट है। पाकिस्तान की विदेश नीति में सेना की प्राथमिकताएं हावी हैं।

दूसरी तरफ है चीन, जो पारदशा नहीं है और ह़की़कत छिपाने में माहिर है।

अमेरिका जैसे देश तक को पता नहीं चल पाता कि वहां क्या चलता है। चीन में भी पिछले वुछ बरसों से सेना का वर्चस्व बढ़ा है। उन्होंने कहा, ठत्त् आपके दोनों तरफ दो ऐसे मुल्क हों, जिनमें सेना गैर परंपरागत तौर-तरीके यानी ‘ग्रे जोन ऑपरेशन’ इस्तेमाल कर रही है. इसे ऐसे समझें कि पाकिस्तानी सेना सीधे भारतीय सेना के सामने नहीं आ सकती इसलिए वह आतंकवाद को प्रायोजित करती है. यही ग्रे जोन ऑपरेशन है। इसी तरह से चीन की सारी कोशिश यही रहती है कि उसकी क्षमताएं छिपी रहीं और गैर परंपरागत तरीके से अपने विरोधी को झुकाए।

इसलिए वह हैकर्स का इस्तेमाल करता है, उन्हें पैसे देता है। अगर हैकर्स ने काम कर दिया, तो वह कह देगा कि इसमें उसका कोईं हाथ नहीं।

लेकिन भारत के पास भी क्षमता किसी से कम नहीं है। चीन वुहान जैविक प्रयोगशाला में जो साजिश हुईं, उसका खुलासा भारतीयों ने यहां से बैठे-बैठे कर दिया है। श्रा पंत ने कहा की इसके बावजूद भारत की सैन्य नीति में साइबर युद्ध के बारे में पर्यांप्त बातें नहीं की I भारत की साइबर क्षमता का वैसे इस्तेमाल करना है, इसकी कोईं चर्चा नहीं है। सेना भी उतनी प्रशिक्षित नहीं है। जबकि चीन ने इस मामले में बहुत बढ़त हासिल कर ली है। चीन के द्वारा भारत सहित  देशों पर होने वाले साइबर हमलों को हमने देखा है। उससे तुलना करने पर यह मानना पड़ेगा कि हमारी आक्रमण क्षमता बेहद कम है। उन्होंने कहा, अगर यह मान रहे हैं कि चीन के साथ सीमा पर जो लड़ाईं चल रही है, वही लड़ाईं है तो जान लीजिए कि चीन ऐसे कभी नहीं लड़ता।

वह दूसरे देश की कमजोरी पर हमला करता है। हमने जब दिखा दिया कि हम भी सीमा पर खड़े हो सकते हैं, तो वह वहां पर क्यों लड़ाईं करेगा? वह हमारी कमजोरी को ढूंढेगा और वहां हमला करेगा। और हम एक मामले में कमजोर हैं भी। हमारी सरकारी वेबसाइटें हैक हो जाती हैं, डेटा सेक्टर्स हैक हो जाते हैं।

इन्हें सुरक्षित करने के साथ भारत को हमला करने लायक भी बनना होगा।

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