उत्तर प्रदेश:नोएडा-काली रातों में शहर में शिकार की तलाश में निकलता है पारदी गैंग, नोएडा पुलिस ने दबोचे 4 बदमाश
चांदनी रात के बाद जब काली रात आती है तो दिल्ली-एनसीआर में कुछ शिकारी, शिकार की तलाश में निकल पड़ते हैं। इस गिरोह के नाम का मतलब ही शिकारी है। जी हां, यहां चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले पारदी गिरोह की बात हो रही है। यह गिरोह अपराध की दुनिया में कब सक्रिय हुआ इसकी कोई लिखित जानकारी नहीं है, लेकिन इस गिरोह पर पैनी नजर रखने वाले एक अधिकारी का मानना है सौ साल से ज्यादा वक्त से यह गिरोह अपराध की दुनिया में सक्रिय है। ये अपराध के तरीके समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं।
इसी क्रम में बीते शुक्रवार को नोएडा सहित एनसीआर के अन्य शहरों में चोरी की सैकड़ों वारदात को अंजाम देने वाले पारदी गैंग के दो इनामी बदमाश सहित चार आरोपियों को नोएडा में दबोचा गया। दो इनामी बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और थाना सेक्टर 49 पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया था।
संयुक्त टीमों ने मेट्रो स्टेशन के नीचे से 2 साल से फरार चल रहे 50-50 हजार रुपए के दो इनामी बदमाश मध्य प्रदेश निवासी सब्बीत और गिरीज उर्फ गिरोज को गिरफ्तार कर लिया। दो अन्य आरोपित भी इस दौरान पकड़े गए। पारदी गिरोह से जुड़े चार बदमाशों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूरी तरह से सक्रिय है।
गुना और झांसी से आकर करते हैं चोरी
संयुक्त ऑपरेशन का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह मध्य प्रदेश के गुना जिले और यूपी के झांसी में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। ज्यादातर मामलों में गिरोह के सदस्य वहीं से आते हैं और नोएडा सहित एनसीआर के दर्जनों घरों में चोरी की वारदात को अंजाम देकर चले जाते हैं। यूपी में जो गैंग सक्रिय है वह ज्यादा हिंसक नहीं है।
महाराष्ट्र में जब यह चोरी की घटना को अंजाम दे रहे होते हैं तो विरोध पर यह परिवार के लोगों की हत्या भी कर देते हैं। यह मूल रूप से पारदी जाति के लोग होते हैं। यह गैंग मध्य प्रदेश में खासा सक्रिय हैं। इसके अलावा गैंग के बदमाशों के खिलाफ गुरुग्राम, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में मामले दर्ज हैं। यह गैंग खिड़की और दरवाजों के ग्रिल उखाड़कर अंदर घुसता है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश के गुना जिले से भी आरोपी आकर पहले दिल्ली-एनसीआर में बंद घरों को खोजते हैं और जैसे ही इन्हें अनुकूल माहौल मिलता है घर का सारा सामान उड़ा देते हैं। 2019 में कोतवाली सेक्टर-49 पुलिस ने मुठभेड़ में गिरोह के छह सदस्यों को दबोच लिया था। उस दौरान शहर में इस गिरोह का आतंक था और नोएडा के दर्जनों बंद मकानों में इन्होंने चोरी की थी।
जेल में ही होता है गैंग का विस्तार
अधिकारियों ने बताया देश के विभिन्न जेलों में बंद गिरोह के बदमाश जेल के अंदर ही नए साथी का चुनाव कर लेते हैं। जेल के अंदर ही साजिश रची जाती है। पूछताछ में पता चला है कि हाल ही में गिरफ्त में आए पुनीत चंडोक की आरोपितों से मुलाकात तिहाड़ जेल में हुई थी। बाहर आते ही वह गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों को जरूरी सामान और हथियार उपलब्ध कराने लगा। जेल से बाहर निकलते ही यह दोबारा से पहले से ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।
चोरी करने में लेते हैं स्थानीय लोगों की मदद
अधिकारियों ने बताया कि पहले यह बाहर से आकर किसी जिले में वारदात करके चले जाते थे, लेकिन अब स्थानीय लोगों की मदद से चोरी करते हैं। बाइक सहित अन्य सामान स्थानीय लोग ही उपलब्ध कराते हैं। कई बार स्थानीय लोग वारदात में सीधे शामिल भी होते हैं। यह लोग खिड़की की ग्रिल उखाड़कर भीतर दाखिल होने के बाद लूट और चोरी करते हैं। गिरोह में बालक, किशोर और महिलाएं भी शामिल होते हैं।
घर पर गुलेल से निशाना लगाकर निश्चिंत होते है कि कोई है या नहीं
सूत्रों ने बताया कि गिरफ्त में जो आरोपित आए हैं उनसे जब पूछताछ की गई तो पता चला कि इनके साथ गुना से कई दर्जन लोग आए थे, लेकिन गिरफ्तारी के बाद जब टीमों ने आरोपितों के बताए ठिकानों पर दबिश दी तो पता चला कि सभी वहां से गायब हैं। कभी-कभी एमपी से पूरा का पूरा गांव आ जाता है और एनसीआर के किसी भी शहर में ब्रिज के नीचे ठिकाना बनाकर लक्ष्य की तलाश करते हैं।
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब इन लोगों ने घटना को अंजाम देने के तुरंत बाद अपना ठिकाना बदल दिया है। यह ज्यादा दिन एक जगह पर रुकते नहीं हैं। कहा जाता है कि कचरा बीनने और रेहड़ी लगाने के बहाने सूने घरों की रेकी होती है। जिसके बाद गैंग के दूसरे सदस्य सूने मकानों को रात के अंधेरे में अपना निशाना बनाते थे।
वारदात के समय यह साथ में पेंचकस और हथौड़ा भी रखते हैं। कई मौकों पर तमंचे भी बरामद किए हैं। वारदात के पहले यह गुलेल से घर पर निशाना लगाते हैं। कंचे की गोली गेट पर लगने के बाद अगर कोई सदस्य बाहर निकलता है तो यह उस दिन उस घर में चोरी नहीं करते हैं।
ऐसे बचाएं खुद को
पुलिस ने कहा कि गैंग से जुड़े बदमाशों के कहर से बचने का तरीका यही है कि जब भी कोई अनजान दरवाजे पर दस्तक दे तो दरवाजा न खोलें। कुछ भी संदिग्ध लगने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। घर के चारों तरह उचित प्रकाश की व्यवस्था रखें। साथ ही घर में सीसीटीवी जरूर लगवाएं।
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