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Thursday, April 22, 2021

महाराष्ट्र :नासिक-ऑक्सिजन टैंकर लीक और फिर नासिक के अस्पताल में यूं उखड़ती चली गईं सासें

महाराष्ट्र :नासिक-ऑक्सिजन टैंकर लीक और फिर नासिक के अस्पताल में यूं उखड़ती चली गईं सासें

महाराष्ट्र के नासिक में टैंकर से ऑक्सिजन लीक होने की घटना में 22 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है। कोरोना संक्रमण के दौर में ऑक्सिजन की कमी की वजह से लोगों की एक तरफ जान जा रही है। वहीं दूसरी तरफ नासिक में टैंकर भरते समय लीकेज हो जाने से जाकिर हुसैन अस्पताल में यह दर्दनाक हादसा हो गया।
मृतकों में से 11 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर और अन्य 11 ऑक्सिजन पर थे। मरने वालों की उम्र 33 से 75 वर्ष के बीच थी। कोविड डेडीकेटेड अस्पताल में घटना के समय कुल 157 मरीज भर्ती थे, जिनमें से 131 ऑक्सिजन सपॉर्ट पर थे।

अचानक सफेद धुआं देखी तो अपनों को बचाने दौड़ पड़े

अस्पताल में अचानक सफेद धुआं सा उठा और देखते ही देखते हर तरफ यह फैल गया। अस्पताल के कर्मचारी और रिश्तेदार मरीजों को बचाने के लिए दौड़ पड़े। हर कोई अपने मरीज की जान बचाने के लिए परेशान नजर आया। अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी मनोज कांकरिया ने कहा कि हमने यथासंभव ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जान बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन 22 मरीजों को नहीं बचाया जा सका।

...और देखते ही देखते टूट गईं सुगंधा की सांसें

इस हादसे में मरने वालों के परिजन रोते बिलखते नजर आए। विक्की जाधव को विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी 65 वर्षीय दादी सुगंधा अब इस दुनिया में नहीं रहीं। विक्की ने बताया, 'उसका शरीर झटके ले रहा था। मैं डॉक्टरों और नर्सों के पास गया, लेकिन वे अन्य मरीजों में व्यवस्त थे। मैं असहाय था। घबराकर इधर-उधर भागता रहा। जब हताश होकर दादी के बेड के पास पहुंचा, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

खुद ऑक्सिजन सिलेंडर का किया इंतजाम

कई परेशान रिश्तेदार, जो केवल अपने प्रियजनों को आंखों के सामने मरता देख रहे थे, उन्होंने अपना गुस्सा डॉक्टरों और नर्सों पर उतारा। मरीजों के रिश्तेदारों को आमतौर पर कोविड अस्पताल के अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन हादसे के बाद यहां अफरा-तफरी मच गई। सब अपनों के बेड के पास पहुंच गए और किसी तरह उन्हें बचाने में लग गए। कई लोग अस्पताल के बाहर भागे और स्कूटर-बाइक और कारों में ऑक्सिजन सिलेंडर रखकर बाहर से लाए।

'अस्पताल से घर जाना था, लेकिन इस दुनिया से ही चला गया'

परीक्षित वालिकर के 44 वर्षीय भाई प्रमोद की इस हादसे में मौत हो गई। उन्होंने बताया कि भाई को लगभग 12 दिन पहले भर्ती कराया था। उन्होंने कहा कि उनकी हालत गंभीर थी और वह वेंटिलेटर पर थे। बुधवार को उनकी हालत में सुधार था और वेंटिलेटर से ऑक्सिजन सपॉर्ट पर रखे गए थे। बाद में उन्हें जनरल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया। डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि प्रमोद को 2-3 दिन में छुट्टी दे देंगे लेकिन वह इस दुनिया से ही छुट्टी लेकर चला गया।

'अपने बेटे की जान बचाने के लिए यहां लाई थी, मारने के लिए नहीं'

एक महिला जिसने अपने 23 वर्षीय बेटे को खो दिया। बिलखती हुई महिला कह रही थी, 'मुझे मेरा बेटा वापस चाहिए। डॉक्टरों ने उसे मार डाला। मैं उन्हें नहीं छोड़ूंगीं। मैं उन सभी पर मुकदमा करूंगी। मैं अपने बेटे की जान बचाने के लिए यहां आई थी, मारने के लिए नहीं। डॉक्टरों ने उसे मार डाला।' यह सिर्फ एक महिला नहीं थी। तमाम अपने ऐसे ही अस्पताल में बिलखते नजर आ रहे थे।
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