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Wednesday, July 16, 2025

उत्तर प्रदेश : पटना: निकल... बाहर निकल...', बिहार भवन कांड की अनसुनी कहानी, जब लालू लगे चीखने और गूंजने लगी मां- बहन की गाली

 उत्तर प्रदेश : पटना: निकल... बाहर निकल...', बिहार भवन कांड की अनसुनी कहानी, जब लालू लगे चीखने और गूंजने लगी मां- बहन की गाली


बिहार के राजनीतिक इतिहास के पन्ने में वर्ष 1992 का अंतिम महीना दर्ज है। इस महीने को बिहार के कुछ कद्दावर नेता बिल्कुल भी नहीं भूल सकते हैं। इस वर्ष दिल्ली स्थित बिहार भवन में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसने बड़े- बड़े नेताओं के रिश्ते को हिला दिया था। बिहार भवन में एक बहुत भद्दी, गाली- गलौज भरी घटना घटी। हुआ ये था कि केंद्र में बीपी सिंह की सरकार गिर गई थी। कृषि मंत्रालय में देवीलाल के सहायक मंत्री के रूप में वह अपनी कुर्सी खो चुके थे। नीतीश भी मंत्री नहीं रह गए थे। इसी दौरान बिहार के नेताओं के एक के साथ वह लालू यादव से भेंट करने चले गए और कुछ कार्यों की सूची ले गए, जो वह चाहते थे कि होने चाहिए। वहां शिवानंद तिवारी, बिशन पटेल और ललन सिंह भी मौजूद थे। बीजेपी के सरयू राय भी थे। वे गेस्ट हाउस के दूसरे कमरे में बैठे हुए थे। नीतीश और अन्य लोगों का मीटिंग से लौटने का इंतजार कर रहे थे।

बाहर निकालो इसको...!

उपरोक्त चर्चा वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब Single Man: The Life & Times of Nitish Kumar of Bihar में कही है। संकर्षण ठाकुर ने पुस्तक में लिखा है कि किसान महीनों से शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे थे। कोई नतीजा नहीं निकला था; नीतीश चाहते थे कि उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाए। संकर्षण ठाकुर ने पुस्तक में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया है कि किसी को भी याद नहीं कि मुख्यमंत्री लालू यादव के कमरे में दाखिल होने के कुछ मिनट के अंदर ऐसा क्या हुआ कि बैठक अचानक गाली- गलौज में बदल गई और मुक्केबाजी होने लगी। लालू की चीख- चिल्लाहट सबसे ऊपर थी। उनका सारा गुस्सा ललन सिंह पर फूट रहा था। जिसे उन्होंने बड़े आक्रोश के साथ इशारा करते हुए कहा- निकल बाहर, बाहर निकल...

बिहार भवन गाली कांड

संकर्षण ठाकुर चर्चा करते हुए लिखते हैं कि हल्ला- गुल्ला बिहार भवन के भूमि तल पर वीवीआईपी गलियारे में विस्फोट की तरह गूंजने लगा। मां- बहन की गालियां गोली की माफिक छूट रही थीं। गालियां बरस रही थीं। सरयू राय इसी दौरान देखने के लिए बाहर निकलकर आए कि माजरा क्या है। उन्होंने वीवीआईपी दरवाजे पर धक्का- मुक्की होती देखी। लालू को अपने सभी सुरक्षाकर्मियों को आवाज लगाते सुना गया, जो कॉरिडोर के आगे कहीं सोए हुए थे। पकड़ के फेंक दो बाहर, ले जाओ घसीट के। मुख्यमंत्री शायद ललन सिंह को ही बाहर ले जाने के लिए चीख रहे थे। ललन सिंह को अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रहता है। बहुत जल्दी कड़वाहट उगलने लगती है और बहुत जल्दी बेइज्जती करने पर उतारू हो जाता है। उसने तब या कभी पहले कुछ ऐसा कहा होगा, जिससे लालू भड़क गए।

नीतीश का लालू को पत्र

बिहार भवन में हुए इस गाली कांड के बारे में चर्चा करते हुए संकर्षण ठाकुर आगे लिखते हैं कि लेकिन इससे पहले कि ललन सिंह को जिस्मी रूप से उठाकर बाहर निकाला जाता, नीतीश कुमार अपने साथ आए लोगों को लेकर वहां से हट गए और यह कहते, बड़बड़ाते हुए कि अब साथ चल पाना मुश्किल है। बिहार भवन के बाहर हो गए। उन्होंने सरयू राय को एक पत्र लिखने के लिए कहा, जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि साथ छोड़ने की नौबत क्यों आई। नीतीश वह पत्र बहुत शीघ्र किसी अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते थे। सरयू राय ने वह पत्र लिखा। कुछ समय तक वह पत्र कहीं दबा पड़ा रहा। बाद में बिहार के वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत ने एक राजनेताओं की चिठ्ठियों पर आधारित एक पुस्तक लिखी, जिसमें उस पत्र की चर्चा हुई। इस टिप्पणी के साथ कि पत्र का अंतिम पन्ना गुम हो गया है।

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