मध्यप्रदेश: सतना: तंबू ढह गया, तेज आंधी तूफान-बारिश आई, फिर भी नही टूटी हिम्मत... 3 दिन में फतह कीं 20,000 फीट से ऊंची चार चोटियां - VSK News

Breaking

||*** स्वागत है आप का VSK News पोर्टल में || VSK News पोर्टल तक अपनी बात Email: Newsvsk@gmail.com / WhatsApp @ +91-7296065336 के जरिये पहुचाए *** ||

Post Top Ad

Monday, July 21, 2025

मध्यप्रदेश: सतना: तंबू ढह गया, तेज आंधी तूफान-बारिश आई, फिर भी नही टूटी हिम्मत... 3 दिन में फतह कीं 20,000 फीट से ऊंची चार चोटियां

 सतना: तंबू ढह गया, तेज आंधी तूफान-बारिश आई, फिर भी नही टूटी हिम्मत... 3 दिन में फतह कीं 20,000 फीट से ऊंची चार चोटियां


प्रदेश के प्रख्यात पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय ने लद्दाख क्षेत्र में स्थित 20,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाली चार पर्वत चोटियों को महज तीन दिनों में फतह कर साहस, संकल्प और सतना की पहचान को नई ऊंचाई दी है। उन्होंने हर चोटी पर भारत का तिरंगा और अपने गृहनगर सतना का ध्वज लहराया और आई लव सतना और जय हिंद का घोष किया है।

सबसे ऊंची चोटी है ग्यामा कांगरी ईस्ट

दरअसल रत्नेश पाण्डेय ने जिन पर्वत चोटियों को सफलतापूर्वक फतह किया है, उनमें चार अत्यंत दुर्गम और ऊंचाई वाली चोटियां शामिल हैं। इनमें सबसे ऊंची चोटी ग्यामा कांगरी ईस्ट है। जिसकी ऊंचाई 6,108 मीटर है। इसके अलावा उन्होंने कीगर री (6,100 मीटर), यालुंग नोंग 1 (6,050 मीटर) और यालुंग नोंग 2 (6,080 मीटर) पर भी विजय प्राप्त की है। ये सभी चोटियां समुद्र तल से 20,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं।

ढह गया तंबू, फिर भी नही टूटी हिम्मत

यह पर्वतारोहण अभियान अत्यधिक बारिश, बर्फबारी और तेज़ हवाओं जैसी खतरनाक परिस्थितियों के बीच पूरा हुआ है। अभियान के दौरान एक हिम तूफान ने उनका तंबू तक ढहा दिया। लेकिन रत्नेश और उनकी टीम ने माउंट एवरेस्ट पर अर्जित अनुभव और साहस के बल पर न केवल खुद को सुरक्षित रखा है बल्कि अभियान को दोबारा शुरू कर सफलता के साथ पूरा भी किया है।

मंगल चांद पर जीवन ढूढ़ना तकनीकी उपलब्धि

रत्नेश का यह मिशन पूरी तरह अल्पाइन स्टाइल में पूरा किया गया है। जिसमें बिना बाहरी सहायता के सभी ज़रूरतें टीम ने खुद पूरी कीं है। उन्होंने पर्वतारोहण को केवल खेल नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक ज़रूरी साधन बताया। उन्होंने कहा मंगल और चांद पर जीवन ढूंढना तकनीकी उपलब्धि हो सकती है। लेकिन धरती मां पर जीवन को बचाना हमारी सबसे बड़ी नैतिक ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।

टीम के सहयोगियों को दिया श्रेय

उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय टीम के अन्य सदस्यों स्टेंजिन लापु, दावा शेर्पा और अब्दुल कयूम को दिया और बताया कि हिमतूफान के बाद टीम जीपीएस की मदद से एक निचले गांव तक पहुंची और फिर मौसम साफ़ होने पर पुनः चढ़ाई शुरू की।


सरकार कर चुकी है विक्रम पुरस्कार से सम्मानित

गौरतलब हो कि सतना निवासी रत्नेश पाण्डेय को पहले ही मध्यप्रदेश सरकार के विक्रम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार उन्हें साहसिक खेलों की श्रेणी में पहली बार दिया गया था। वे एक प्रमाणित मास्टर इंस्ट्रक्टर और रेस्क्यू एक्सपर्ट भी हैं। लद्दाख प्रशासन ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अभियान साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरण चेतना भी फैलाते हैं।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

,,,,,,