नोएडाः अब 90% बछिया ही पैदा होगी, सिर्फ 10% बछड़े होंगे... देसी तकनीक से तैयार किया 'खास वीर्य' - VSK News

Breaking

||*** स्वागत है आप का VSK News पोर्टल में || VSK News पोर्टल तक अपनी बात Email: Newsvsk@gmail.com / WhatsApp @ +91-7296065336 के जरिये पहुचाए *** ||

Post Top Ad

Wednesday, September 14, 2022

नोएडाः अब 90% बछिया ही पैदा होगी, सिर्फ 10% बछड़े होंगे... देसी तकनीक से तैयार किया 'खास वीर्य'

नोएडाः अब 90% बछिया ही पैदा होगी, सिर्फ 10% बछड़े होंगे... देसी तकनीक से तैयार किया 'खास वीर्य'


भारत एक ऐसा देश है जहां लड़कियों की भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलते हैं लेकिन बात जब मवेशियों की आती है तो यहां नर पशु से ज्यादा मादा पशु महत्वपूर्ण हो जाती है। किसान यह चाहते हैं कि उनके मवेशी मादा पशुओं को ही जन्म दें। किसानों की इस इच्छा को पूरा करने के लिए और मवेशियों के नर संतानों को पैदा होने से रोकने के लिए एक खास तकनीक विकसित की गई है। यह तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी है और परीक्षण के दौरान इसमें 87 से 90 प्रतिशत तक सफलता भी हासिल हुई है। यानी कि इस खास तकनीक के इस्तेमाल से 90 प्रतिशत मौकों पर सिर्फ बछिया पैदा होगी जबकि बछड़े सिर्फ 10 प्रतिशत होंगे।

दुधारू मवेशियों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जल्दी ही इस खास तकनीक को देश के डेयरी किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसे किसानों के लिए सस्ता और सुलभ बनाने के लिए कवायद जारी है। दरअसल नैशनल डेयरी डिवेलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की एक सहायक कंपनी ने सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किया है। इसके जरिए मवेशी केवल मादा बछड़ा देता है। इस समय दुनिया भर में केवल दो कंपनियां ही सेक्स-सॉर्टेड सीमेन डोज का निर्माण करती हैं।

एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के उप प्रबंध निदेशक सीपी देवानंद ने कहा, 'हमने महाराष्ट्र और चेन्नई में सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किए हैं। केवल मादा बछड़ा देने वाले जानवर का सफलता अनुपात तकरीबन 87-90 प्रतिशत है। ट्रायल के दौरान तकरीबन 20-25 मादा बछड़ों को प्रड्यूस किया गया। देवानंद ने नोएडा में चल रहे विश्व डेयरी सम्मेलन से इतर ये बातें कही हैं। उन्होंने बताया कि यह टेक्नॉलजी पूरी तरह से स्वदेशी है।

इसे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc)- बेंगलुरु, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-चेन्नई और राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS) बेंगलुरु स्थित जीवा साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त अनुसंधान के तहत विकसित किया गया है। इन सभी संस्थाओं ने सेक्स-सॉर्टेड सीमेन डोज को किफायती और प्रभावी बनाने की दिशा में बेहतरीन काम किए हैं।

मौजूदा समय में सेक्स सॉर्टिंग टेक्नॉलजी वाले गोवंश के वीर्य (Semen) के लिए हम अमेरिका पर निर्भर थे। भारत में अमेरिका स्थित सेक्सिंग टेक्नॉलजी (एसटी, यूएसए) से आयात की गई तकनीक की मदद से उसकी अपनी ही भारतीय शाखा एसटी जेनेटिक्स इंडिया ऐसे वीर्य विकसित करती थी लेकिन अब स्वदेशी तकनीक के माध्यम से भारतीय प्रयोगशालाओं में सेक्स सॉर्टिंग सीमन विकसित करने का काम होने लगा है तो इससे डेयरी किसानों का काम आसान हो जाएगा।

देवानंद ने बताया कि सिर्फ बछिया को जन्म देने वाले सेक्स्ड सीमन (लिंग वाले वीर्य) की कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रति खुराक कीमत फिलहाल 1500 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक है। अगर किसी मवेशी को एक से ज्यादा डोज की जरूरत होती है तो कुल खर्च 4000 रुपये प्रति मवेशी हो जाता है। यह किसानों के लिए थोड़ा महंगा भी साबित होता है लेकिन अब स्वदेशी तकनीक विकसित होने के बाद इस समस्या का भी निवारण हो जाएगा।

देवानंद ने बताया कि इस साल के अंत तक भारत में स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस खास सेक्स्ड सीमन को कमर्शली लॉन्च कर दिया जाएगा। इसकी प्रति डोज कीमत 250 रुपये होगी, जो मौजूदा सेक्स्ड सीमन की तुलना में किसानों के लिए बहुत ज्यादा किफायती है।

कैसे करता है काम
सेक्स-सॉर्टिंग वीर्य तकनीक मवेशियों के वीर्य से नर शुक्राणुओं को अलग करती है और यह सुनिश्चित करती है कि केवल मादा बछड़े (बछिया) का ही प्रसव हो। यह नर बछड़े के जन्म को रोकता है, और दुधारू मादा बछड़े की आबादी में बढ़ोतरी करता है। एक बार लॉन्च होने के बाद यह सेक्स-सॉर्टेड वीर्य पूरे देश में एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के मौजूदा नेटवर्क के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग ज्यादातर गायों के लिए किया जाता है, क्योंकि भैंसे का मूल्य एक बैल से ज्यादा होता है।
#VSKNEWS

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

,,,,,,