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Friday, May 13, 2022

नोएडा: रस्‍सी से बांधकर मरीज का इलाज, घायल बच्चे को उल्‍टे पांव लौटाया...नोएडा के सरकारी अस्‍पतालों का हाल जान लीजिए

नोएडा: रस्‍सी से बांधकर मरीज का इलाज, घायल बच्चे को उल्‍टे पांव लौटाया...नोएडा के सरकारी अस्‍पतालों का हाल जान लीजिए 


दिन हो या रात अस्पतालों की इमरजेंसी मरीजों के इलाज के लिए 24 घंटे खुली रहती है। नोएडा में स्थिति यह हो गई है कि मरीजों को इमरजेंसी में इलाज मिलना मुश्किल हो गया है। सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल की इमरजेंसी में देर रात आ रहे मरीज बिना इलाज के वापस लौटाए जा रहे या दिल्ली और अन्य अस्पतालों के लिए रेफर किया जा रहा है। जिला अस्पताल के पास बने चाइल्ड पीजीआई के मरीजों ने आरोप लगाया कि उनके बच्चे को इमरजेंसी में इलाज तो दिया जा रहा है लेकिन उनसे 350 की बजाए 11 सौ रुपए जमा करवाए जा रहे हैं। दो सप्ताह पहले चाइल्ड पीजीआई में 10 महीने के बच्चे की मौत हो गई थी। बच्चे के पैरंट्स ने आरोप लगाया था कि इमरजेंसी में भी डॉक्टर बच्चे को देखने नहीं आए और तबीयत बिगड़ती गई। मंगलवार को एनबीटी टीम ने पड़ताल के दौरान जिला अस्पताल और चाइल्ड पीजीआई की इमरजेंसी की हकीकत जानने की कोशिश की तो यह स्थिति सामने आई। जिला अस्पताल में तो एक मरीज को रस्सी से बांधकर उसका इलाज किया जा रहा था।

रात 9 बजे: बच्चे को गोद में लिए परिजनों को उल्टे पांव लौटाया
जिला अस्पताल में मंगलवार रात एक शख्स गोद में 8 साल के बच्चे को उठाए हुए चले आ रहे थे। लेकिन वहां के गार्ड ने उस बच्चे को अंदर ले जाने के बजाय उन लोगों को उल्टे पांव लौटा दिया। जबकि बच्चे की हालत खराब थी। प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे चाइल्ड पीजीआई में रेफर कर सकते थे। लेकिन गार्ड ने साफ तौर पर कह दिया कि यहां बच्चों का इलाज नहीं होता। परिजनों ने बताया कि उनके बच्चे का एक्सिडेंट हो गया है।

रात 8:30 बजे: बुजुर्ग को नहीं दिया बेड
दादरी निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग बालगोपाल को सांस की समस्या होने पर उनके बच्चे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर आए। बुजुर्ग से सीधे बैठा भी नहीं जा रहा था। अस्पताल की इमरजेंसी में उन्हें बेड देने के बजाए वीलचेयर पर ही बिठाए रखा। वहीं बुजुर्ग को ऑक्सिजन लगा दी। बुजुर्ग का सिर भी ऊपर नहीं हो रहा पा रहा था। बेटा अपने हाथ से उनका सिर ऊपर करने की कोशिश कर रहा था। पत्नी ने रोते हुए बताया कि डॉक्टर कह रहे हैं यहां इलाज नहीं हो पाएगा। इन्हें दिल्ली लेकर जाओ। अब वह दिल्ली जाने के लिए ऑटो का इंतजाम कर रहे हैं। यहां ऐम्बुलेंस भी नहीं है।

रात 8:48 बजे, चाइल्ड पीजीआई: इलाज हो या न हो 1100 जमा करा लिए
सेक्टर 45 से आई 8 महीने की रिया को उल्टी, दस्त की समस्या थी। चाइल्ड पीजीआई की इमरजेंसी में बैठे रिया के परिजनों ने बताया कि 1 घंटे बाद बच्ची को इलाज मिलना शुरू हुआ है। यहां पहली बार में ही 1100 रुपये जमा करने होते हैं नहीं तो डॉक्टर भर्ती नहीं करते। हमारे पास रुपये नहीं थे लेकिन हम इंतजाम कर रहे हैं। जबकि कुछ दिन पहले अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने मीडिया से खुद यह बात कही थी कि यहां भर्ती होने वाले मरीजों को एक साथ 11 सौ रुपये शुल्क नहीं देना पड़ेगा। अब इसे कम करके 350 रुपये कर दिया गया है। रिया की दादी ने बताया कि डॉक्टर कह रहे हैं 1100 में अगर कुछ पैसे बचेंगे तो वह वापस कर दिए जाएंगे। लेकिन 1100 रुपये जमा करने जरूरी हैं।

रात 8:55 बजे: भर्ती करने के लिए हमारे पास पैसे ही नहीं
खोड़ा निवासी 1 वर्षीय राजा की मम्मी ने बताया कि उनके बेटे को बुखार, सिर दर्द व उल्टी की समस्या है। 1 मई को उन्होंने चाइल्ड पीजीआई में डॉक्टर को दिखाया था लेकिन उनकी दवा से कोई फायदा नहीं हुआ। बच्चे की अचानक तबीयत खराब हुई तो वह दोबारा उसे लेकर चाइल्ड पीजीआई आई हैं। डॉक्टर ने फिर से वही दवाएं लिख दी हैं। डॉक्टर उनसे बच्चे को भर्ती करने की बात कह रहे हैं। लेकिन हमारे पास 11 सौ रुपये नहीं हैं। इस वजह से हम बच्चे को भर्ती नहीं कर पा रहे हैं।

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