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Sunday, January 9, 2022

उत्तर प्रदेश:लखनऊ- यूपी में बनाएंगे पूर्ण बहुमत की सरकार, बसपा सुप्रीमो मायावती के दावे में कितना दम?

उत्तर प्रदेश:लखनऊ- यूपी में बनाएंगे पूर्ण बहुमत की सरकार, बसपा सुप्रीमो मायावती के दावे में कितना दम? 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है। सत्ताधारी बीजेपी के अलावा विपक्षी समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने चुनाव को लेकर कमर कस ली है। सभी पार्टियां बड़े नेताओं के चेहरे को चुनाव में उतारने की तैयारी में है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने रविवार को विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। बसपा सुप्रीमों मायावती ने दावा करते हुए कहा कि बसपा पार्टी साल 2007 के विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी नंबर वन रहेगी और अकेले दम पर सरकार बनाएगी। उन्होंने चुनावी सर्वे आदि को गलत बताते हुए कहा कि इन चुनावी सर्वे से कोई फर्क नहीं पड़ता जो बीएसपी को रेस का हिस्सा नहीं मानते हैं।

ऐसे में बहुजन समाजवादी पार्टी के सामने एक बड़ा सवाल है। सवाल ये कि बसपा आखिर बिना बड़े नेताओं के चेहरे के कैसे आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में उतरेगी। तमाम बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। ऐसे में बीएसपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं, दूसरी पार्टियों में से किसी को इसका फायदा मिलेगा।

क्या कहा मायावती ने
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि पार्टी सभी 403 सीटों पर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। उन्होंने किसी भी अन्य पार्टी से गठबंधन से इनकार कर दिया और कहा कि साल 2007 की तरह ही इस बार भी अगर उन्हें सत्ता मिलती है तो वे सभी वर्गों का ध्यान रखेंगी। मायावती ने रविवार को अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई थी।

बड़े नेता हो चुके हैं पार्टी से बाहर
बसपा संस्थापक कांशीराम के दौर में पार्टी से जुड़े ज्यादातर प्रमुख नेता अब पार्टी से बाहर हो चुके हैं। उस दौरान बसपा में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राज बहादुर, आरके चौधरी, दीनानाथ भास्कर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, दद्दू प्रसाद, जंगबहादुर पटेल और सोनेलाल पटेल जैसे नेता हुआ करते थे। इनके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर, सतीश चंद्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय, सुखदेव राजभर, जयवीर सिंह, ब्रजेश पाठक, रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज, मुनकाद अली और लालजी वर्मा ने भी अहम रोल निभाया है।

लेकिन पार्टी में जैसे-जैसे मायावती का प्रभाव बढ़ता गया, एक-एक करके नेता बाहर होते गए। किसी ने अपनी पार्टी या संगठन बना अलग राह चुनी तो कई लोगों ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया।

फिलहाल सोशल इंजीनियरिंग की माहिर कही जाने वालीं मायावती ने इस विधानसभा चुनाव को लेकर अपने क्या दांवपेच सोच रखे हैं यह तो वक्त बताएगा। लेकिन पार्टी के जिन नेताओं ने बसपा का साथ छोड़ा है, उनकी भरपाई मायावती कैसे कर पाएंगी और क्या नए चेहरे मायावती को ताकत दे पाएंगे। इन सवालों के जवाब तो विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही तय हो सकेगा।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) की तारीख घोषित हो चुकी है। 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए 7 चरण में चुनाव होंगे। 17वीं विधानसभा का कार्यकाल (UP Assembly ) 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे। इनमें लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें 63 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं थीं, जबकि पुरुषों का प्रतिशत करीब 60 फीसदी रहा। चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया।वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन 54 सीटें जीत सका। इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती (Mayawati) की बीएसपी (Bahujan Samaj Party) 19 सीटों पर सिमट गई। इस बार सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भाजपा (Bhartiya Janata Party) के बीच है। भाजपा योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है।
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