मध्य प्रदेश: पाबंदियों का महाकाल मंदिर को मिलने वाले दान पर असर नहीं, गर्भगृह में प्रवेश बंद होने के बावजूद छह दिन में डेढ़ करोड़ से ज्यादा की आमदनी
मध्य प्रदेश में उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद होने के बाद भी नए साल पर जमकर धनवर्षा हुई। 30 दिसंबर से 4 जनवरी के बीच मंदिर में दान और चढ़ावे के रूप में एक करोड़ 64 लाख रुपयों की आमदनी हुई।नए साल के पहले दिन शीघ्र दर्शन से महाकाल मंदिर को 13 लाख रुपये से अधिक की आय हुई। एक जनवरी को बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे थे। यह संभवतः पहला मौका है जब 1 जनवरी को मंदिर को इतनी आमदनी हुई।
नए साल में दर्शन के लिए आने वाले लोगों की भीड़ का अनुमान लगाते हुए 30 दिसंबर को ही महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। इसके बावजूद श्रद्धालु बड़ी तादाद में मंदिर पहुंचे और दिल खोलकर दान भी किया।
श्रद्धालुओं ने भीड़ से बचने के लिए शीघ्र दर्शन और प्रोटोकॉल वाली टिकट खरीदकर भगवान के दर्शन किए। शीघ्र दर्शन के लिए 250 रुपये और प्रोटोकॉल के लिए 100 रुपये की टिकट मंदिर में उपलब्ध है। भक्तों ने मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के लिए भी छह दिनों में 86 लाख रुपये खर्च किए।
12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल महाकाल मंदिर में हर महीने लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। मंदिर में हर महीने करीब 2.5 करोड़ रुपए का चढ़ावा मिलता है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश पर रोक लगने से इसमें कमी आ गई थी।
महाकाल मंदिर की व्यवस्था में करीब 650 कर्मचारी तैनात हैं। इनके वेतन के साथ मंदिर की साफ-सफाई, बिजली बिल, सुरक्षा व्यवस्था आदि के खर्च की जिम्मेदारी महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के ऊपर है। इन सबको मिलाकर हर महीने एक करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आता है। इसकी व्यवस्था मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे से ही होती है।
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