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Saturday, January 15, 2022

उत्तर प्रदेश-यूपी में दनादन इस्‍तीफों से भाजपा 'बैकफुट' पर, अब सिर्फ 10-15% टिकट काटेगी!

 उत्तर प्रदेश-यूपी में दनादन इस्‍तीफों से भाजपा 'बैकफुट' पर, अब सिर्फ 10-15% टिकट काटेगी!

तीन मंत्रियों और छह विधायकों के इस्तीफा देकर सपा जाने के फैसले से भाजपा 'बैकफुट' पर है। तीन दिन तक दिल्ली में यूपी चुनाव और टिकट वितरण को लेकर चली बैठक में भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी है। तय यह किया गया है कि अब तक 40 से 50% टिकट काटने की बात करने वाली भाजपा अब सिर्फ 10-15 फीसदी विधायकों के टिकट ही काटेगी।

सर्वे में दिखा था विधायकों के हारने का डर
यूपी चुनाव के लिए भाजपा ने तीन सर्वे करवाए थे। इनमें दो सर्वे में 100 से ज्यादा सीटों पर विधायकों को फिर से चुनाव लड़ने पर हार जाने का खतरा सामने आ रहा था। इससे यूपी संगठन ने पहले 150 और फिर 70 से 100 विधायकों के टिकट काटने का मन बना लिया था। संगठन के कुछ लोगों ने मौजूदा विधायकों को यह बात बताना भी शुरू कर दिया था कि आप जीत नहीं पाएंगे, इसलिए आपका टिकट नहीं हो सकता है। इससे विधायकों ने दूसरे दलों का आसरा देखना शुरू कर दिया था।

स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी जैसे मंत्रियों के साथ गए विधायकों को भी यही खतरा सताने लगा था। दिल्ली की बैठक में इस पर बात पर मंथन हुआ कि मंत्रियों और विधायकों के सपा में जाने से अखिलेश यादव के पक्ष में हवा बन सकती है। इस वजह से भाजपा परिवार को बिखरने से बचाने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने ज्यादा टिकट न काटने का सुझाव दिया। दिल्ली की बैठक में करीब 172 विधानसभा सीटों को लेकर मंथन हुआ है। इसके बाद सूची तैयार की गई, जिसमें कई विधायकों के टिकट बरकरार रखने का फैसला हुआ। इसमें संगठन की तरफ से भेजे गए पैनल पर चर्चा के बाद मुहर लगा दी गई। अब कहा जा रहा था कि 25 से 35 विधायकों के टिकट ही कटेंगे।

पिछड़े नेताओं पर सीधा हमला नहीं करेगी बीजेपी
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में यह भी तय किया गया है कि भले ही तीन मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा देकर भाजपा छोड़ दी हो, पर भाजपा बयानों में इन पर सीधा हमला नहीं करेगी। सूत्रों का कहना है कि चूंकि यह सभी नेता पिछड़े वर्ग की अलग-अलग जातियों से आते हैं, इसलिए इन्हें सीधा टारगेट करने से इस वर्ग के वोटर बिदक सकते हैं, इसलिए इसमें सावधानी बरती जाएगी। भाजपा के सीधे निशाने पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रहेंगे। उनके बहाने ही सपा पर हमला किया जाएगा।
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