उत्तर प्रदेश : आगरा-प्रदूषण ने बिगाड़ी हवा, धुंध में 'गायब' हुआ आगरा का ताजमहल, हाइवे पर विजिबिलिटी जीरो
उत्तर प्रदेश के आगरा की फिजा में जहर घुल गया है। शनिवार सुबह से ही आसमान पर धुंध की मोटी परत छाई है। ताजमहल पर धुंध के बादलों में समा गया है। इधर नैशनल हाइवे पर विजिबिलिटी शून्य है। आलम यह है कि राहगीरों की आंखों में जलन और बीमारों को सांस लेने में खासी दिक्कतें हो रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु में घुलता जहर दमा और हृदय रोगियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
फिलहाल आगरा की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 429 है जो कि बेहद गंभीर स्तर पर है। पर्यावरण वैज्ञानिकों ने यह भी आशंका जताई है कि आगामी दिनों में इंडेक्स और भी खराब स्थिति पर पहुंच सकता है। हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण लोगों की आंखों में जलन पैदा हो रही है। जगह-जगह धूल के गुबार और पेड़ों पर जमी धूल की मोती परत प्रदूषण के बढ़ती स्थिति बयां कर रही है। आगरा के क्षेत्र रेड जोन में पहुंच गए हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति आवास विकास कालोनी की है। आवास विकास के सेक्टर तीन बी का एक्यूआई 403 है। यहां का प्रदूषित हवा लोगों का घमघोंट रही है।
चार सेक्टर पहुंचे रेड जोन में
यूपीपीसीबी के अनुसार आगरा के चार जोन रेड जोन में हैं। इनमें संजय प्लेस का एक्यूआई 383, मनोहरपुर 342, आवास विकास सेक्टर तीन बी 406, शास्त्रीपुरम की एयर क्वालिटी इंडेक्स 360 है। इसके अलावा ताजमहल के पास शाहजहां गार्डन की जानकारी उनके पास अपडेट नहीं है।
खतरा बना है कि पीएम 2.5
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक वैज्ञानिक विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि आगरा में वायु गुणवत्ता मेट्रोलॉजिक कंडीशन पर डिपेंड होती है। वर्तमान में सूर्य का नहीं निकलना और हवा के नहीं चलने से वायुमंडल में धुंध की परत जम गई है। सबसे ज्यादा असर पीएम 2.5 की कंडीशन से पड़ता है। इस समय धूल में प्रदूषण के कण आसमान में तैर रहे हैं। पीएम 2.5 360 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है जो कि खतरे की स्थिति पर है। उन्होंने सुझाव दिया है घर में रहना बेहतर है।
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