बिहार: बेगूसराय-फुटपाथ पर बेगूसराय का ट्रैफिक थाना, 4 साल में एक भी FIR नहीं
फुटपाथ पर 10 बाय 10 के कमरे में पूरा का पूरा ट्रैफिक थाना चल रहा है। वो भी पूरे चार साल से। शुक्र मनाइए एक कंस्ट्रक्शन कंपनी का, जिसकी वजह से पुलिसवालों को सिर पर कम से कम एस्बेस्टस का छत है। वरना पुलिस महकमा ने तो थाने को अनाथ यूं ही सड़क पर छोड़ दिया था।फुटपाथ किनारे एस्बेस्टस का कमरा बना हुआ है, जिसमें यातायात कार्यालय बड़े ही शान से लिखा हुआ है। थाने के सामने सब्जी की मंडी लगती है। आसपास काफी संख्या में सब्जियों की दुकानें हैं। नियम के मुताबिक यहां प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है लेकिन 4 साल में अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।अगस्त 2018 में तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार ने अपने प्रयास से एस्बेस्टस के कमरे का निर्माण कराकर ट्रैफिक थाने की शुरुआत की थी। उसके पहले भी एनएच 31 किनारे ट्रैफिक थाना एक निजी कमरे से ही चलता था। इतने लंबे समय के बावजूद आज तक अपना भवन नहीं है। हालांकि कहा जा रहा है कि अब ट्रैफिक थाने को अगले साल अपना भवन मिल जाएगा।बिहार में ट्रैफिक इंतजामों को सुधारने के दावे बरौनी के ठकुरी चक में आकर दम तोड़ देती है। पुलिसवालों की नौकरी की मजबूरी है। जहां ड्यूटी लग जाए, वहीं हाजिर हैं। नौकरी की मजबूरी ये कि कैमरे कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं। मगर अपने लिए नया ऑफिस भी नहीं तलाश सकते। ऐसी बात नहीं कि किसी को इस फुटपाथी थाने के बारे में जानकारी नहीं है। ऊपर से नीचे तक सबको हकीकत पता है। मगर कोई कुछ भी करने को तैयार नहीं है।
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