नई दिल्ली/लखनऊ-सैकड़ों की भीड़ तो फिर चश्मदीद क्यों नहीं मिल रहे....सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा मामले को लेकर एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा में केवल 23 गवाहों के होने पर हैरानी जताई। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने सवाल किया कि चार से पांच हजार लोग मौके पर थे...ये आश्चर्य है कि सिर्फ 20 के बयान मैजिस्ट्रेट के सामने रेकॉर्ड हुए?
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोगों ने कार और कार के अंदर मौजूद लोगों को देखा है।
इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि अगर चश्मदीद गवाह से ज्यादा विश्वसनीय है तो पहले उनकी जानकारी होना सबसे अच्छा है। हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में दे सकती है जो मामले में गवाहों के बयान दर्ज हैं।
पत्रकार और श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने को कहा। इसके अलावा SC ने फोरेंसिक लैब को घटना के वीडियो से संबंधित रिपोर्ट जमा करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए भी कहा है।
तीन आरोपियों की मिली पुलिस रिमांड
उधर, लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा में गिरफ्तार रिंकू राणा, धर्मेंद्र, मोहित त्रिवेदी की तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड सोमवार को सीजेएम ने स्वीकृत कर दी। सूत्रों के अनुसार यह तीनों हिंसा के समय स्कॉर्पियो में बैठे थे। पुलिस मंगलवार को तीनों को कस्टडी रिमांड पर लेगी।
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