उत्तर प्रदेश: बस्ती में गोवंशों के लिए न हरा चारा... न इलाज की व्यवस्था, तड़प-तड़पकर तोड़ रहे दम
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने के लिए टिप्पणी की थी। वहीं, इसके उलट यूपी के बस्ती में गोशाला की हालत बहुत खराब है। गोशाला में न हरा चारा है और न ही इलाज की कोई व्यवस्था है। गोवंश तड़प-तड़प के दम तोड़ रहे हैं।
दुबौलिया विकास खंड के रमना तौफीर गांव में वृहद गोशाला की स्थिति बहुत ही खराब है। बरसात के चलते गोशाला की चहारदीवारी ढह गई है। इसके चलते जंगली जानवरों का गोशाला में हमला बढ़ गया है। जंगली जानवरों के काटने से यहां चार गोवंश की मौत हो चुकी है, जबकि दो घायल हैं। घायल गोवंश के इलाज के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। गो सेवक रामलाल ने बताया कि बरसात का पानी भर जाने से यहां रखे जानवर दूषित पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं। गोशाला में 200 से अधिक गाय और सांड हैं। जिनकी सेहत काफी दयनीय है। वहीं, पशु चिकित्साधिकारी का कहना है कि बजट न होने के कारण दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
चार माह से कर्मचारियों को नहीं मिला मानदेय
गोशाला में कार्यरत कर्मचारियों को भी पिछले 4 माह से मानदेय नहीं मिल पाया है। मानदेय न मिल पाने के चलते उनके द्वारा विरोध-प्रदर्शन भी किया जा चुका है।
'किसी जानवर की मौत नहीं हुई'
वहीं, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ए.के. त्रिपाठी ने बताया कि दवाओं की कोई कमी नहीं है। भूसा चारा पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। किसी गोवंश के जंगली जानवर के हमले से घायल होने और मौत की सूचना नहीं है।
गोशाला में जानवरों के इलाज के लिए डॉ. ए.के गौड़ की तैनाती है। इस बारे में उनसे रिपोर्ट तलब की जाएगी। बताया कि जिस जगह गोशाला बनी है। वहां की जमीन बलुअट होने के चलते बाउंड्रीवाल धराशायी हो गई है। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया है। पानी कम होने के बाद जानवरों की सुरक्षा के लिए बांस बल्ली से घेरा बनवाया जाएगा।
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