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Wednesday, July 14, 2021

उत्तर प्रदेश: लखनऊ- पंचायत चुनाव ड्यूटी के समय कोरोना से हुई थी मौत, अब 2 हजार परिवारों को मुआवजा देगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश: लखनऊ- पंचायत चुनाव ड्यूटी के समय कोरोना से हुई थी मौत, अब 2 हजार परिवारों को मुआवजा देगी योगी सरकार 

पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना से मरने वाले 2,020 सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को उत्तर प्रदेश सरकार 30-30 लाख रुपये का मुआवजा देगी। अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) मनोज कुमार सिंह ने कहा कि कोविड से ड्यूटी पर मौत को लेकर संशोधित प्रोटोकॉल के तहत 3,092 आवेदन प्राप्त हुए थे। 2,020 मामलों को मुआवजे के लिए सही माना गया है। इससे पहले सरकार ने 74 सरकारी कर्मचारियों को ही मुआवजा देने का फैसला लिया था।

अपर मुख्‍य सचिव ने कहा, ‘अतिरिक्त 10 से 20 मामले हैं जिन्हें राज्य सलाहकार बोर्ड को भेजा जाएगा। एक बार जब वे पात्रता की पुष्टि कर लेंगे, तो उनके परिवारों को भी मुआवजा मिलेगा।’ ड्यूटी पर मौत की पूर्व परिभाषा के तहत, सरकार ने 74 सरकारी कर्मचारियों की पहचान की थी, जिनकी मौत कोविड और गैर-कोविड कारणों से हुई थी। नियमों में कहा गया है कि मुआवजा तभी दिया जाएगा जब कर्मचारी की ड्यूटी पर या यात्रा के दौरान ड्यूटी के स्थान से और यात्रा के दौरान मृत्यु हो जाए, जो एक या अधिकतम दो दिन में होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कर्मचारी कितनी दूर यात्रा करता है।

कर्मचारी संघों ने किया था सरकार का जोरदार विरोध
हालांकि, विभिन्न कर्मचारी संघों ने विरोध किया और दावा किया कि ड्यूटी के दौरान अधिक कर्मचारियों ने कोविड के कारण दम तोड़ दिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव और पंचायती राज अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे चुनाव आयोग से महामारी के प्रभाव को दर्शाने के लिए नियमों में संशोधन करने का अनुरोध करें। राज्य मंत्रिमंडल ने 31 मई को उन बदले हुए नियमों को मंजूरी दी, जिनके तहत चुनाव ड्यूटी की तारीख के 30 दिनों के भीतर कोविड की मौत होने पर अनुग्रह राशि दी जाएगी।

कोविड टेस्‍ट रिपोर्ट को माना गया सबूत
जिन लोगों का निगेटिव टेस्ट आया, लेकिन एक समय सीमा के भीतर कोविड की जटिलताओं के बाद उनकी मौत हो गई, उन्हें भी मुआवजे के लिए उपयुक्त माना जाएगा। सरकार ने पॉजिटिव आरटी-पीसीआर या एंटीजन टेस्ट, रक्त रिपोर्ट या छाती के सीटी स्कैन को कोविड संक्रमण का सबूत माना है। सलाहकार बोर्ड को समीक्षा के लिए भेजे गए मामलों में सिंह ने कहा कि आरटी-पीसीआर या एंटीजन रिपोर्ट गायब थे, लेकिन डॉक्टर के पर्चे, उच्च सीआरपी मूल्य दिखाने वाले ब्लड टेस्ट और इलाज के सबूत को कोविड के संभावित मामले के रूप में संलग्न किया गया था।
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