उत्तर प्रदेश: कुशीनगर-बेटे का तिलक चढने के कुछ घंटे पहले पिता की उठ गयी अर्थी
वह अपने इकलौते लख्तेजिगर के सिर पर सेहरा देखना चाहते थे, वह अपने बुढापे की लाठी को अपने कंधे पर लेकर घोडी पर बैठाना चाहते थे। नौकरी से रिटायरमेंट के बाद अपने पोता-पोती के साथ अपना बचपन याद करने की सपना संजोए बैठे थे तभी तो वह अपने बेटे की शादी को लेकर काफी उत्साहित थे। उन्हे क्या पता था कि उनका यह सपना सिर्फ सपना बनकर रह जायेगा। कुदरत की बेरहमी तो देखिए, जिस बेटे की शादी की तैयारी को लेकर आरक्षी महेन्द्र सिंह का पैर जमीन पर नही था जिस बेटे की आज अपने दरवाजे पर तिलक चढवाने की खुशी मे फूले नही शमा रहे थे वही तिलक की रस्म-अदायगी के चंद घंटे पूर्व दुनिया को अलविदा कह गये। जब बेटे ने अपने पिता के शव को अपने कंघे पर उठाया तो मानो धरती और आकाश की अश्वधारा एक बहने लगी। चीख-चीत्कार की डरावनी स्वर और गांव मे पसरा मातम हर किसी को झकझोरने के लिए काफी थी।
काबिलेगोर है कि जिले के कसया तहसील क्षेत्र के खेड़नी गांव जो वर्तमान में कुशीनगर नगर पालिका परिषद के शहीद भगत सिंह नगर वार्ड में गुरुवार को उस समय सबकी आँखे नम हो गई, जब एक बेटे ने अपने तिलक की रस्म अदायगी के कुछ घंटे पहले अपने पिता के शव को अपने कंधे पर उठाकर श्मशान घाट की ओर बढा। बेटे की बदकिस्मती और इकलौते बेटे के सिर पर सेहरा देखने की पिता की लालसा अधूरी रह जाने का गम सिर्फ नात-रिश्तेदारों के ही नही पुरे गांव बाशिंदों के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रहा था। तभी तो सबकी आखो मे आसूं और होठो पर ऊपर वाले से शिकायत थी।
कहना न होगा कि महेंद्र सिंह पुत्र कमला सिंह उम्र 57 वर्ष पुलिस विभाग मे गोंडा जनपद में आरक्षी के पद पर कार्यरत थे। बताया जाता है महेन्द्र सिंह पिछले एक वर्ष से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे जिनका काफी दिनो से इलाज चल रहा था। अपनी बीमारी को देखते हुए महेंद्र ने अपने एकलौते पुत्र की शादी नेपाल राष्ट्र के नवलपरासी में तय कर किया था। गुरुवार यानी 22 अप्रैल को वह अपने दरवाजे पर अपने इकलौते बेटे का तिलक की रस्म व 26 अप्रैल को विवाह कार्यक्रम की तैयारी मे जुटे थे। पिछले सप्ताह महेन्द्र सिंह की अचानक तवीयत बिगड गयी तो घरवालों ने आनन-फानन मे जिला मुख्यालय स्थित जिला संयुक्त अस्पताल लेकर पहुचे, जहाँ उनका इलाज का हर जतन किया जा रहा था कि बेटे का विवाह किसी तरह से निबट जाए। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था और अंततः गुरुवार को तिलकोत्सव के दिन जहा दोनो परिवारों मे तिलक की तैयारी चल रही थी तभी महेन्द्र सिंह अपने बेटे के सिर पर सेहरा देखने हसरत अपने दिल मे लिए दुनिया को अलविदा कह गये। इस मनहूस खबर की जानकारी जब गांव और लडकी पक्ष वालो को हुई तो दोनो परिवार के साथ साथ दोनो क्षेत्रो मे मातम छा गया। परिवार में पत्नी फूलमती, बेटी सुधा सिंह व सुष्मिता सिंह का रो रोकर हाल बेहाल हो गया था। महेन्द्र सिंह का अंतिम संस्कार गुरुवार सेमरा उर्फ झुंगवा के नदी घाट पर हुआ.
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