2011 की जनगणना के मुताबिक़ पूर्वोत्तर राज्य असम में मुसलमान वहाँ की आबादी के क़रीब 35 फ़ीसद हैं. अपनी बड़ी आबादी के लिहाज़ से वहाँ के चुनावों में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग इनका है.
लेकिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता हिमंत बिस्व सरमा ने असम में चल रहे चुनावों से ठीक पहले यह कह दिया कि उनकी पार्टी को मुसलमानों के वोटों की ज़रूरत नहीं है. फिर टिकट बंटवारे के समय बीजेपी को लगा कि वो इस समुदाय की असम में पूरी तरह से अनदेखी नहीं कर सकती है तो पार्टी ने कुल सात मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा.
हालाँकि 2016 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या नौ थी जिनमें केवल एक को ही जीत मिली सकी थी.
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