मध्य प्रदेश:भोपाल-छह साल के बच्चे करेंगे कोविड नियमों का पालन?
एक अप्रैल से एमपी में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के स्कूल खुल रहे हैं। छह साल से मोनू कर्मकार का क्लास वन में इसी साल दाखिला हुआ है। उनके परिवार के सामने कोरोना काल में सबसे बड़ी चुनौती, उन्हें स्कूल भेजने की है। यह समस्या सिर्फ मोनू के परिवार के साथ ही नहीं है, दूसरे बच्चों के साथ भी है, जिन्होंने इस साल क्लास वन में दाखिला लिया है। स्कूल कैसे यह पता करेगा कि छह साल के ये बच्चे कोविड नियमों का पालन कर रहे हैं।
पैरेंट्स ने कहा कि कोरोना काल में कई बार अपने बच्चों पर अंकुश लगाने की कोशिश की है। मोनू के पिता ने कहा कि मेरा बच्चा छह साल का है, यह जब बाहर जाता है तो मैं इससे मास्क के बारे में पूछता हूं, लेकिन कई बार यह मास्क निकाल देता है और पहनने से मना कर देता है। मैं चिंतित हूं कि स्कूल में ये बच्चे कैसे गाइडलाइन का पालन करेंगे।
उन्होंने कहा कि क्लास वन और टू के बच्चे उतने समझदार नहीं होते हैं कि वह कोरोना गाइड लाइन का पालन करें और सोशल डिस्टेसिंग का मतलब समझें। एक बच्चे के पिता पकंज उपाध्याय ने कहा कि मैं समझने में असमर्थ हूं कि स्कूल के लोग इन बच्चों से कैसे कोरोना नियमों का पालन करवाएंगे, क्योंकि घर में इनसे नियमों का पालन करवाना एक बड़ी चुनौती है।
जुलाई से भेजने को तैयार
वहीं, ज्यादातर पैरेंट्स चाहते हैं कि एक अप्रैल की एक जुलाई से खुलें। क्लास 9 के बच्चे काफी समझदार होते हैं। उनकी कक्षाएं खुलने से हमें कोई आपत्ति नहीं है। सवाल है कि क्लास वन और टू के बच्चे स्कूल कैसे आ पाएंगे। इसके साथ ही अभिभावकों ने फैसला किया है कि बच्चों को स्कूल भेजने से पहले कैंपस विजिट करेंगे।
इसके साथ ही कुछ एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों ने एक अप्रैल को स्कूल बंद रखने का फैसला किया है। स्कूल अपनी तरफ से पहले पूरी तैयारी कर लेंगे। फिर पैरेंट्स की अनुमति के बाद ही बच्चों स्कूल बुलाएंगे। भोपाल में ऐसे स्कूलों की संख्या काफी है। वहीं, सरकारी आदेश के बाद स्कूलों ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।
#vsknews
No comments:
Post a Comment