भारत में कोरोना के टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है, जिसके तहत अब आम लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. एक मार्च से इसमें 60 साल से ज़्यादा उम्र वाले और किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी.
अगर इस चरण में आप भी वैक्सीन लगवाने की सोच रहे हैं तो मन में कई सवाल होंगे. एक सवाल वैक्सीन लगने के बाद होने वाले रिएक्शन को लेकर डर का भी होगा.
टीकाकरण के पहले चरण की शुरुआत में ही कई लोगों ने वैक्सीन लगने के बाद 'एडवर्स इफ़ेक्ट' (प्रतिकूल प्रभाव) की शिकायत की थी. हालांकि कम लोगों में इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले थे.
इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि आख़िर एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन (AEFI) क्या है और यह कितनी सामान्य या असामान्य बात है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. मनोहर अगनानी ने पहले चरण के दौरान ही टीकाकरण के बाद होने वाले इस तरह के इफे़क्ट के बारे में विस्तार से समझाया था.
उनके मुताबिक़, "टीका लगने के बाद उस इंसान में किसी भी तरह के अनपेक्षित मेडिकल परेशानियों को एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन कहा जाता है. ये दिक़्क़त वैक्सीन की वजह से भी हो सकती है, वैक्सीनेशन प्रक्रिया की वजह से भी हो सकती है या फिर किसी दूसरे कारण से भी हो सकती है. ये अमूमन तीन प्रकार के होते हैं- मामूली, गंभीर और बहुत गंभीर."
उन्होंने बताया कि ज़्यादातर ये दिक़्क़तें मामूली होती हैं, जिन्हें माइनर एडवर्स इफ़ेक्ट कहा जाता है. ऐसे मामलों में किसी तरह का दर्द, इंजेक्शन लगने की जगह पर सूजन, हल्का बुख़ार, बदन में दर्द, घबराहट, एलर्जी और रैशेज़ जैसी दिक़्क़त देखने को मिलती है."
लेकिन कुछ दिक़्क़तें गंभीर भी होती हैं, जिन्हें सीवियर केस माना जाता है. ऐसे मामलों में टीका लगवाने वाले को बहुत तेज़ बुखार आ सकता है या फिर ऐनफ़लैक्सिस की शिकायत हो सकती है. इस सूरत में भी जीवन भर भुगतने वाले परिणाम नहीं होते. ऐसे गंभीर मामले में भी अस्पताल में दाख़िले की ज़रूरत नहीं पड़ती है.
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