समय बीता जा रहा है
राह पर चलते हुए हम, समय का अनुमान कर लें.
समय बीता जा रहा है, स्वयं की पहचान कर लें..
वक़्त के तूफ़ान से जलते दिए बुझ जाते हैं,
पर वक्त के ठोकर से ही मन के दिए जल पाते हैं,
इस परिवर्तन के काल में, महाकाल का आह्वान कर लें.
समय बीता जा रहा है, स्वयं की पहचान कर लें..
समय का पहिया निरंतरता में चलता रहता है,
जो सजग प्रहरी बना उसमें ही ऊर्जा भरती है,
समय की गति मोड़, आओ नवयुग का निर्माण कर लें.
समय बीता जा रहा है, स्वयं की पहचान कर लें..
जो स्वयं को समय का रुख मोड़ गढ़ता जाएगा,
नित - निरन्तर वह शिखर पर ही पहुंचता जाएगा,
समय के अर्जुन बनें, गीता का अमृत पान कर लें.
समय बीता जा रहा है, स्वयं की पहचान कर लें..
---------- अर्चना सिंह
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