उत्तर प्रदेश:बस्ती-लड़की का एक इनकार और परिवार पर मुकदमों की बौछार
गांव में 31 मार्च 2020 को शुरू हुआ एक घटनाक्रम आपको एक फिल्मी कहानी सरीखा लगेगा। कहानी के दो पक्ष हैं। कानूनी रूप से इसमें आगे चलकर कौन सच्चा है, कौन झूठा, ये तो वक्त बताएगा।
मामले में एक लड़की का आरोप है कि गांव में तैनात एक एसआई उसके पीछे पड़ा था। जबरन फोन कॉल्स, मेसेज कर रहा था। जब उसने एसआई से बात करने से मना कर दिया और उसे फोन पर ब्लॉक कर दिया तो उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। देखते ही देखते उसके और परिवार के लोगों पर एक-एक करके आठ मुकदमे दर्ज हो गए। उनके परिवार के साथ कुख्यात अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। इस कारण उसके समेत परिवार की दो लड़कियों के रिश्ते टूट गए और तीसरी लड़की की शादी टूटने के कगार पर है।
पुलिस का कहना है कि परिवार का आपराधिक इतिहास है। आरोप लगाने वाली लड़की के भाई आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। उनके खिलाफ जो भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, सब सही हैं। हां, ये बात अलग है कि जिस दरोगा पर लड़की ने आरोप लगाए थे। उन्हें सही पाते हुए पुलिस कप्तान ने एसआई को लाइन हाजिर कर चौकी से हटाया भी था। लेकिन एसपी का कहना है कि लड़की के परिवार के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे सही हैं।
लॉकडाउन से हुई शुरुआत
लड़की के मुताबिक 31 मार्च 2020 को वह अपने फुफेरे भाई के साथ दवा लेने जा रही थी। बस्ती के कोतवाली की चौकी सोनूपार में तैनात चौकी इंचार्ज दीपक सिंह ने चेकिंग के दौरान उन्हें रोका। मास्क न होने पर उन्हें चेतावनी दी। साथ ही चौकी इंचार्ज लड़की से उसका मोबाइल नंबर मांगने लगे। इस पर लड़की ने अपने भाई का नंबर दिया तो चौकी इंचार्ज ने कहा, उसका नंबर मांगा। लड़की का मोबाइल फोन घर पर था। आरोप है कि उसके नंबर की पुष्टि करने के लिए चौकी इंचार्ज ने घर में रखे उसके फोन को उसकी भाभी से रिसीव करवाकर जब सुनिश्चित कर लिया, तब उसे जाने दिया।
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