उत्तर प्रदेश-कविता-सम्भल जाओ हे जवानों !!
समय है बदलाव का, तुम सम्भल जाओ हे जवानों !
पुकारती तुमको सुबह की लालिमा,
दूर कर नैराश्य की हर कालिमा ;
क्षुद्र अन्तर्द्वन्द के घट फोड़ दो,
छोड़ दो व्यामोह, नाते तोड़ दो,
भागीरथ के विश्वास की गंगा बहाओ, हे जवानों !
हो समर्पण शक्ति का आह्वान हो,
लक्ष्य की ही भक्ति हो, सम्मान हो,
सत्य ही गूथें हों तेरे कथ्य में,
भाव भटके ना कभी नेपथ्य में,
छल पिघल जाए लपट ऐसी उठाओ, हे जवानों !
ध्येय पर मालिन्यता आए नहीं,
श्रद्धा की माला कलंकित हो नहीं,
वंचनाओं के मुखौटे खींच लो ,
क्रांति के जल से स्वयं को सींच लो,
इस तरह तुम कुछ अलग करके दिखाओ, हे जवानों !
कर अटल संकल्प पग आगे बढ़ाओ, हे जवानों !
समय है बदलाव का, तुम सम्भल जाओ, हे जवानों !!
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