यूपी में खून के रिश्ते के अलावा किसी और के नाम है पावर ऑफ अटॉर्नी तो पड़ सकते हैं मुश्किल में
यूपी में जिन प्रॉपर्टी की पावर ऑफ अटॉर्नी ब्लड रिलेशन के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के नाम की गई है उनकी दिक्कत बढ़ सकती है। स्टाम्प ऐक्ट के हिसाब से पावर ऑफ अटॉर्नी केवल ब्लड रिलेशन में ही की जा सकती है। इसके अलावा अब 100 रुपए में प्रॉपर्टी का रजिस्ट्री सर्टिफ़िकेट भी बनेगा जिसे एड्रेस प्रूफ की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रदेश के स्टांप व पंजीयन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जयसवाल ने सोमवार को ये दो अहम बातें कहीं।
नोएडा के सेक्टर 33 स्थित स्टांप विभाग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली की तर्ज पर यूपी में सर्कल रेट कम करने का कोई विचार नहीं है। राज्यमंत्री ने यह कहकर इस मुद्दे पर चल रही सारी अटकलों को खारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिन जिलों में जीपीए (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) पिछले सालों में की गई हैं उनमें तमाम ऐसी हैं जो बिना ब्लड रिलेशन वालों के नाम पर की गई है। इनमें एक्ट का मिसयूज हुआ है। इस पूरे मामले की प्रदेश स्तर पर जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।
जीपीए वालों की बढ़ सकती है दिक्कत
जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) की जांच के मामले में नोएडा और गाजियाबाद में हजारों लोगों की दिक्कत बढ़ सकती है। अनुमान के अनुसार इन दोनों जिलों में करीब 70 फीसदी जीपीए बिना ब्लड रिलेशन वालों के नाम पर ही की गई है। जांच के दौरान यदि प्रदेश स्तर पर कोई सख्त फैसला होता है, तो लोगों की जीपीए निरस्त की जा सकती है।
सोमवार को राज्यमंत्री रविंद्र जयसवाल नोएडा पहुंचे और रजिस्ट्री विभाग के कामकाज के बारे में जानकारी की। खासकर आम्रपाली के प्रॉजेक्टों में अब तक हुई फ्लैटों की रजिस्ट्री की संख्या का संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि जिन फ्लैट खरीदारों को कोर्ट रिसीवर के निर्देश के बाद 31 मार्च तक रजिस्ट्री करानी ही है उनके लिए विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तैयार रहें। बायर्स को रजिस्ट्री कराने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, लंबा इंतजार न करना पड़े इसलिए अपने सिस्टम और व्यवस्था को इस तरह दुरुस्त करें।
100 रुपये में सर्टिफिकेट लें और कहीं भी दिखाएं
अब रजिस्ट्री, पावर ऑफ अटॉर्नी व विल की मूल कॉपी लेने के साथ ही 100 रुपये के स्टांप पर सर्टिफिकेट भी लिया जा सकता है। इस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल बतौर दस्तावेज करने में आसानी होगी लेकिन यह उन्हीं को मिलेगा जो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करेंगे। बिना मांगे अपनी तरफ से विभाग यह सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगा।
एक पेज के इस सर्टिफिकेट में प्रॉपर्टी से संबंधित बेसिक डिटेल लिखी होग। इसे कहीं भी दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल करना बेहद आसान होगा। उन्होंने कहा कि कुछ साल में प्रदेश में विभाग में जाकर रजिस्ट्री कराना बेहद आसान हुआ है। अब सिस्टम को इस तरह अपडेट कर लिया गया है कि मात्र 10-15 मिनट में रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी जा सकती है।
ऑनलाइन देख पाएंगे 20 साल पुराना रेकॉर्ड
राज्यमंत्री ने बताया कि पूरे प्रदेश में स्टांप विभाग 20 साल पुराने डेटा का रेकॉर्ड डिजिटल करने जा रहा है। इसके बाद आप कोई भी प्रॉपर्टी यदि खरीदने जा रहे हैं तो उससे संबंधित पिछले 20 साल के रेकॉर्ड देखने के लिए आपको विभाग के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घर बैठे ही आप ऑनलाइन देख सकेंगे कि पिछले 20 साल में संबंधित प्रॉपर्टी किस-किस को कितने में बिकी है। उस प्रॉपर्टी का इतिहास क्या है।
बाराबंकी, श्रावस्ती और आंबेडकर नगर में पायलट प्रॉजेक्ट
इससे लोगों के साथ प्रॉपर्टी के मामले में धोखाधड़ी होने के मामलों में बड़े स्तर पर कमी आएगी। प्रॉपर्टी डीलर भी किसी प्रकार का झूठ बोलकर खरीदार को फंसा नहीं सकेंगे। प्रदेश के तीन शहर बाराबंकी, श्रावस्ती और आंबेडकर नगर में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर यह कार्य कर लिया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में धीरे-धीरे किया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment