देश में एक शहर ऐसा भी जहां किसी महापुरुष या नेता की मूर्ति नहीं, बस चौक ही चौक
प्रतीकों की राजनीति के दौर में मूर्तियों पर बहुत जोर रहता है. ऊंची से ऊंची मूर्तियां स्थापित करने की होड़ रहती है. लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि देश में एक शहर ऐसा भी है जहां एक भी महान हस्ती की मूर्ति मौजूद नहीं है. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के अंबाजोगाई शहर की.
यह सही है कि किसी महान विभूति को याद रखने और उसके आदर्शों से लोगों को प्रेरित करते रहने के लिए मूर्तियां स्थापित करने का चलन युगों से चलता आ रहा है. फिर उस व्यक्ति की जयंती या पुण्यतिथि पर मूर्ति को माल्यार्पण कर हर साल उसे याद किया जाता है.
ऐसे मौकों पर नेतागण भाषण आदि भी देते हैं. लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है. असंख्य ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जब विपरीत विचारधारा के लोग मूर्तियों की अवमानना करते हैं और यह समाज में तनाव का कारण भी बन जाता है. ऐसे में इन मूर्तियों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए भी काफी कुछ करना पड़ता है जिसमें समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं.
डेढ़ लाख की आबादी वाला अंबाजोगाई शहर शायद देश का एक मात्र शहर होगा, जहां किसी भी सड़क, चौराहे पर किसी भी व्यक्ति, नेता, समाज सेवी की मूर्ति कभी नहीं लगाई गई है.
वरिष्ठ साहित्यकार प्रो (डॉ) मुकुंद राजपंखे से इस विषय पर आज तक ने बात की. प्रो राजपंखे कहते हैं कि इस शहर में कोई मूर्ति या प्रतिमा नहीं है, यहां आपको केवल चौक ही दिखाई देंगे. प्रो राजपंखे की तरह तालमार्तंड मंदिर से जुड़े और प्रसिद्ध संगीतकार प्रकाश बोरगांवकर कहते हैं कि महाराष्ट्र में पुणे के बाद अंबाजोगाई शहर को शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता है. उनका कहना है कि शहर में निजाम के समय से कोई मूर्ति नहीं लगाई गई है, नतीजतन, शहर में दो समुदायों के बीच कभी दरार नहीं हुई.
ये संयोग ही है कि अंबाजोगाई शहर में किसी महापुरुष या नेता की मूर्ति मौजूद नहीं है और यहां से कभी वैमनस्य जैसी किसी अप्रिय घटना की भी कोई खबर नहीं आई है. अंबाजोगाई ने सामाजिक सद्भाव के शहर के रूप में एक अलग ही पहचान बनाई है. यहां के लोगों का कहना है कि वे मूर्ति की जगह महापुरुषों के आदर्शों का असल में जिंदगी में पालन में यकीन रखते हैं.
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