नई दिल्ली: जंतर मंतर का राम यंत्र फिर करेगा सूरज से बात, कभी बिना घड़ी के बताता था वक्त, फिर लौटेगा पूरे स्वैग में यह यंत्र !
राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक जंतर मंतर में मौजूद राम यंत्र एक बार फिर अपने खोए हुए गौरव को वापस पाने जा रहा है। सदियों पहले बनाया गया यह खगोलीय यंत्र सिर्फ छाया देखकर सूरज की ऊंचाई, दिशा और समय बताने की अद्भुत क्षमता रखता था वो भी बिना किसी मशीन, तार या डिजिटल स्क्रीन के। अब इस अनोखे वैज्ञानिक चमत्कार को फिर से जिंदगी मिलने वाली है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी उठाई है। तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। जिस यंत्र ने कभी भारत की खगोल-ज्ञान परंपरा को आसमान तक पहुंचाया था, वह जल्द ही दोबारा सूरज से संवाद करता नजर आएगा।
जीर्णोद्धार क्यों जरूरी:
राम यंत्र का एक हिस्सा दक्षिण दिशा की ओर का भाग-फिलहाल बंद पड़ा है, जबकि उसे खुला होना चाहिए। इसके अलावा पिलर पर बनी रेखाएं मिट चुकी है, और क्षैतिज स्लैबों पर बनी गणनात्मक आकृतियां भी घिस गई हैं। ASI की प्रवक्ता नंदिनी भट्टाचार्य साहू बताती हैं कि मरम्मत से पहले यंत्र का पूरा डॉक्यूमेंटेशन तैयार कर लिया गया है। इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी के फिजिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. आलोक पंड्या कहते हैं कि ये आम ढांचा नहीं है, बल्कि भारत की खगोलीय विरासत है। बंद हिस्से को तुरंत खोला जाना चाहिए और सारे घिसे हुए चिन्हों को फिर से उकेरा जाना जरूरी है।
क्या खास ह राम यंत्र?
राम यंत्र दरअसल दो बड़े सिलिंडर जैसे खुले टावरों का कॉम्बिनेशन है। हर टावर के बीच एक ऊंचा पिलर होता है। जब सूरज की रोशनी इस पिलर पर पड़ती है, तो उसकी परछाई की मदद से सूरज की ऊंचाई और दिशा मापी जाती है। इस यंत्र से दिन के किसी भी समय यह पता चल जाता था कि सूर्य कितने कोण पर है। जब पिलर की छाया दीवार के बिल्कुल बीच में पड़ती थी, तो इसका मतलब होता था कि सूरज 45 डिग्री के एंगल पर है।
कोर्ट की फटकार के बाद मिली रफ्तार
दरअसल 2023 में दिल्ली हाई कोर्ट ने जंतर मंतर की खस्ता हालत पर सख्त रुख अपनाया था और चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। यह कार्रवाई 2010 के निर्देशों की अनदेखी पर दाखिल अवमानना याचिका के बाद हुई थी। कोर्ट की फटकार के बाद ASI ने छह सदस्यीय समिति बनाई और अब राम यंत्र के पुनरुद्धार का रास्ता साफ हो गया है।
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