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Saturday, June 28, 2025

अब भाषा भी प्रतिनिधित्व चाहती है...जब प्रतिनिधि महिला हो, तो प्रतिनिधित्व पुरुष शब्दों में क्यों दिखे?

 अब भाषा भी प्रतिनिधित्व चाहती है...जब प्रतिनिधि महिला हो, तो प्रतिनिधित्व पुरुष शब्दों में क्यों दिखे?


विधायक’ शब्द सुनते ही हमारे मन में एक कुर्ता पजामा पहने हुए, हाथ में फाइल और पीछे पीए की फौज लिए हुए जनप्रतिनिधि की इमेज उभरती है और वह इमेज अक्सर एक पुरुष की होती है। पर जब हम उसी पद पर एक महिला को देखते हैं, तो क्या विधायक शब्द उतनी ही सहजता से उसकी पहचान को ढो पाता है? शायद नहीं। और यहीं से शुरू होती है हमारी बराबरी की भाषा मुहिम की अगली पड़ताल! जब शब्द किसी की पहचान को पूरा न कर पाएं, तो नया शब्द ढूंढना लाज़मी हो जाता है।

हाल ही में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता से बातचीत में उन्होंने भी इस बात को माना कि सदन की कार्यवाही के दौरान कई बार ऐसे पुरुषवाचक शब्द आ जाते हैं, जिन्हें महिलाओं के लिए प्रयोग करना स्वाभाविक नहीं लगता। उन्होंने माना कि यह भाषा के समृद्ध न होने का मामला है और बराबरी की भाषा जैसे प्रयासों की इसलिए ज़रूरत है ताकि हम महिलाओं के लिए भी पहचान गढ़ सकें।

बराबरी की भाषा सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं है।यह पहचान, प्रतिनिधित्व और आत्मसम्मान से जुड़ा एक आंदोलन है। जब तक हम हर पेशे, हर भूमिका के लिए स्त्रीलिंग शब्द नहीं बनाएंगे, तब तक महिलाओं की उपस्थिति समाज और सत्ता में अपवाद की तरह ही बनी रहेगी।

क्यों जरूरी है विधायक का स्त्रीलिंग

जब किसी पद का नाम सिर्फ पुरुष रूप में हो, तो वह महिलाओं की भूमिका को अदृश्य बना देता है। विधायक जैसे शब्द जब महिलाओं के लिए भी ज्यों का त्यों इस्तेमाल होते हैं, तो यह मान लिया जाता है कि असली प्रतिनिधि पुरुष ही होता है और महिलाएं उसमें सिर्फ जुड़ी हुई एक यूनिट हैं। इससे भाषा में बराबरी नहीं, भेदभाव झलकता है। स्त्रीलिंग शब्द गढ़ना इसलिए जरूरी है ताकि महिलाओं की उपस्थिति सिर्फ वास्तविक सत्ता में नहीं, बल्कि पहचान में भी साफ-साफ दिखे। जब हम किसी को भी उसके पद के लिए सही और सम्मानजनक नाम से बुला सकें, तभी भाषा सच्चे प्रतिनिधित्व का माध्यम बन सकती है।

क्या कहते हैं नियम?

विधायिका एक विकल्प हो सकता है। लेकिन यह शब्द संसद की राज्यसभा के लिए प्रयोग होता है (legislative body) पर संदर्भ और उच्चारण के लिहाज़ से यह किसी महिला विधायक को संबोधित करने में भी सक्षम हो सकता था मगर चूंकि यह पहले से प्रचलित है इसलिए हम इसे विकल्प नहीं रखेंगे। दूसरा विकल्प हो सकता है विधायिनी।

विधायिनी शब्द ‘विनाशक-विनाशिनी’ की तर्ज़ पर दिया गया है, जहां कर्ता रूप के स्त्रीलिंग में ‘यिनी’ जोड़ा जाता है। ‘विधिका’ शब्द विधि यानी कानून बनानेवाले ‘विधिक’ के स्त्रीलिंग के रूप में सामने आता है। जबकि ‘विधायकी’ शब्द के पक्ष में कोई पुख़्ता उदाहरण नहीं है, लेकिन इसे ‘दानव-दानवी’, ‘मानव-मानवी’ जैसे रूपों के आधार पर एक संभावित सुझाव के रूप में देखा जा सकता है।
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