मध्य प्रदेश : इंदौर: स्कूल बसों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल पुरानी बस नहीं चलेंगी, जानें आदेश में क्या है खास
इंदौर हाईकोर्ट ने स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला 2018 में हुए डीपीएस स्कूल बस हादसे से जुड़ी याचिकाओं पर आया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 25 बिंदुओं पर अमल करने के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों का मकसद स्कूल बसों का सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करना है। हादसे में चार बच्चों और ड्राइवर की मौत हो गई थी।
5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल निपानिया की बस बायपास पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में चार विद्यार्थियों और बस ड्राइवर की जान चली गई थी। इसके बाद शहर के लोगों और अभिभावकों ने स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने यह अहम फैसला सुनाया।
विभिन्न बिंदुओं की होगी जांच
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए 25 बिंदुओं पर काम करने को कहा है। इनमें ड्राइवर को नौकरी पर नहीं रखा जा सकेगा जिस पर साल में दो बार सिग्नल तोड़ने, तेज गति से गाड़ी चलाने या शराब पीकर गाड़ी चलाने का चालान कटा हो। बस में अभिभावक या स्कूल के शिक्षक सुरक्षा नियमों की जांच के लिए साथ यात्रा कर सकते हैं। स्कूल बस में सिर्फ़ विद्यार्थी ही सफर कर सकेंगे, कोई बाहरी व्यक्ति नहीं।
हाईकोर्ट की हिदायत
व्यक्तिगत ऑटो-रिक्शा में ज्यादा से ज्यादा चार विद्यार्थी ही बैठ सकेंगे। इस नियम का पालन कराने की ज़िम्मेदारी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी यानि आरटीओ, पुलिस अधीक्षक एसपी और पुलिस उपाधीक्षक सीएसपी ट्रैफिक की होगी। प्रत्येक स्कूल को किसी वरिष्ठ शिक्षक या कर्मचारी को वाहन प्रभारी नियुक्त करना होगा। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, राज्य शिक्षा विभाग, सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को इन निर्देशों का पालन करवाने के आदेश दिए हैं।
ड्राइवर के पास इतना अनुभव जरूरी
स्कूल बसों के लिए कुछ खास नियम भी बनाए गए हैं। स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए। उस पर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना ज़रूरी है। बस के आगे और पीछे स्कूल का नाम, पता और वाहन प्रभारी का मोबाइल नंबर 9 इंच के बोर्ड पर लिखा होना चाहिए। खिड़कियों पर जालीदार ग्रिल होनी चाहिए। शीशों पर रंगीन फिल्म या पर्दे नहीं लगाए जा सकेंगे। बस ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। स्कूल को शपथ पत्र देना होगा कि बस खतरनाक तरीके से नहीं चलाई जाएगी। बस में स्पीड गवर्नर लगा होना ज़रूरी है।
बस सार्टिफिकेट होना जरूरी
इसके साथ ही बस का फिटनेस सर्टिफिकेट, बीमा, प्रदूषण प्रमाण पत्र और टैक्स के भुगतान का प्रमाण पत्र होना चाहिए। कोई भी स्कूल बस 12 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए।
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