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Thursday, November 28, 2024

झारखंड: रांचीः मां-पिता की हार के सदमे से छोड़ दी पढ़ाई, जानें CM हेमंत सोरेन के झारखंड के सबसे ताकतवर नेता बनने की अनकही कहानी

झारखंड: रांचीः मां-पिता की हार के सदमे से छोड़ दी पढ़ाई, जानें CM हेमंत सोरेन के झारखंड के सबसे ताकतवर नेता बनने की अनकही कहानी 

झारखंड में चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में रूप में शपथ लेकर रिकॉर्ड बनाने हेमंत सोरेन का सपना इंजीनियरिंग की डिग्री और उच्च शिक्षा हासिल करना था। इसके लिए हेमंत सोरेन ने पटना हाई स्कूल से इंटरमीडिएट करने के बाद रांची के मेसरा स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन भी ले लिया, लेकिन अचानक कुछ परिस्थितियों के कारण उन्हें गहरा सदमा लगा। प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान बीआईटी में एडमिशन लेने के बावजूद हेमंत सोरेन ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।

शिबू सोरेन की अनुपस्थिति में मां रूपी सोरेन ने ही पढ़ाई-लिखाई का ध्यान रखा


10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के नेमरा गांव में जब हेमंत सोरेन का जन्म हुआ, उस वक्त उनके पिता और दिशोम गुरु शिबू सोरेन टुंडी स्थित एक आश्रम में संताली समुदाय को जागृत करने के लिए अभियान चला रहे थे। टुंडी-निरसा क्षेत्र में ही शिबू सोरेन ने सबसे पहले बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर महाजनी प्रथा के आंदोलन की शुरुआत की। इसी दौरान चिरूडीह नरंसहार की घटना समेत अन्य बड़े आंदोलनों के कारण शिबू सोरेन को महीनों तक भूमिगत रहना पड़ा।
इस दौरान हेमंत सोरेन और उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन का पालन-पोषण उनकी मां शिबू सोरेन ने ही किया। 1980 के दशक में शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो ने मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा नामक एक राजनीतिक दल का गठन कर लिया। इसमें झारखंड में खासकर कोयलांचल में वामपंथी विचारधारा से ओतप्रोत मजदूर नेता मासस के ए.के. राय भी हमराही बने। झारखंड के इन तीन दिग्गजों के नेतृत्व में झारखंड अलग राज्य का आंदोलन तेज हो गया। शिबू सोरेन को संगठन और राजनीतिक बैठकों में भाग लेने के सिलसिले में अधिकांश दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ा था।

दुमका में शिबू सोरेन और रूपी सोरेन की हार से लगा सदमा


पिता शिबू सोरेन की अनुपस्थिति में रूपी सोरेन ने ही दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की पढ़ाई-लिखाई का ख्याल रखा। हेमंत सोरेन ने पटना से 12वीं की परीक्षा पास की और इंजीनियरिंग करने बीआईटी मेसरा, रांची आ गए। उस वक्त उनके पिता शिबू सोरेन 1991 के चुनाव में दुमका से सांसद निर्वाचित हुए थे। लेकिन इसी दौरान शशिनाथ झा हत्याकांड और सांसद रिश्वत कांड के कारण शिबू सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई।

2019 में दूसरी बार और 2024 में तीसरी बार सीएम के रूप में शपथ


दूसरी बार हेमंत सोरेन 29 दिसंबर 2019 में शपथ ली थी। 31 जनवरी 2024 को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जमानत पर बाहर आने के बाद 4 जुलाई 2024 को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी। हेमंत सोरेन के पहले उनके पिता शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा तीन-तीन बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।

ईडी की गिरफ्तारी के बाद पत्नी कल्पना सोरेन बनीं स्टार प्रचारक


बैडमिंटन, साइकिल और किताबों के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाने वाले हेमंत सोरेन अब राज्य में सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री बनने वाले नेता बन चुके हैं। 31 जनवरी 2024 को ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया, तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन पार्टी में स्टारक प्रचारक के रूप में उभरी। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के दो बच्चे हैं। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन से अलग इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए करीब 100 से अधिक चुनावी सभाएं की।
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