आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से बातचीत
यह मूलतः कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, सांस के मरीजों पर हावी होता है। इनफ्लुएंजा हमारे शरीर में नाक,आंख और मुंह के जरिए प्रवेश करता है और खांसने, छींकने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। यदि घर में कोई एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है, तो दूसरे लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। वयस्कों की तुलना में इसके लक्षण बच्चों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसके बारे में हमने बस्ती के जिला अस्पताल सेवायें दे रहे आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से बातचीत किया। उन्होने इसके लक्षण बचाव और प्राकृतिक उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इनफ्लुएंजा के लक्षण
इनफ्लुएंजा से संक्रमित होने पर सांस लेने में मुश्किल होती है, थकान, कमजोरी महसूस होती है। नाक बहती और भरी हुई रहती है। बुखार, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना या पसीना आना, सिरदर्द होना, लगातार सूखी खांसी आना, गला खराब होना, आंख में दर्द होना तथा दस्त और उल्टी होना इनफ्लुएंजा के लक्षण हैं।
इन्फ्लुएंजा कैसे होता है
इन्फ्लुएंजा कर नाम उस वायरस पर पड़ा है जिसके कारण यह होता है। इस वायरस का नाम इन्फ्लुएंजा वायरस है। इस वायरस से संक्रमित लोग खांसते या छींकते हैं और यदि उनके कॉन्टेक्ट में आनेवाले लोग इन बूंदों को सांस, मुंह या आंखों के माध्यम से अपने शरीर के अंदर ले जाते हैं, तो वायरस फैलता है। खांसने या छींकने से निकली बूंदे चीजों के माध्यम से भी दूसरे व्यक्ति के शरीर में फैल सकती हैं जिससे कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चे और लोग लंबे समय तक संक्रमित रह सकते हैं।
उपचार कैसे करें
आमतौर पर, इन्फ्लुएंजा के उपचार के लिए पर्याप्त आराम और बहुत अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने की जरूरत होती है। लेकिन अगर आपको यह इंफेक्शन गंभीर है या जटिलताओं का खतरा अधिक है, तो डॉक्टर आपको एंटीवायरल दवाईयां भी दे सकते हैं ताकि फ्लू ठीक हो सके। यह दवाईयां इस प्रकार हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना इसे न लें। ओसेल्टामिविर, ज़नामिविर आदि। ये दवाएं आपकी बीमारी को कम कर सकती हैं और गंभीर जटिलताओं को रोकने में भी सहायक हैं। ओसेल्टामिविर एक ओरल दवा है। ज़नामविर को अस्थमा इन्हेलर के समान एक उपकरण के माध्यम से सांस द्वारा लिया जाता है। लेकिन, अगर किसी को कुछ पुरानी सांस संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी है तो इनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सावधान रहें
इन्फ्लुएंजा से संक्रमित लोगों के कान्टैक्ट में न आयें। जब भी आपको खांसी या जुकाम हो, अपने नाक को रुमाल या टिश्यू से ढंक लें। आजकल की स्थिति को देखते हुए हमेशा मास्क लगा कर रखें, खासतौर पर जब आप घर से बाहर हों। हाथों को धोने से आप रोगाणुओं से बच सकते हैं। अगर साबुन या पानी मौजूद न हो तो एल्कोहॉल बेस्ड सैनिटाइज़र का प्रयोग करें। अपने मुंह, आंख या नाक को न छुएं। जब आप किसी दूषित जगह को छूते हैं, तो रोगाणु आपके हाथों में आ जाते हैं। इसके बाद जब उसी हाथ से आप अपने आंख, मुंह या नाक को छूते हैं, तो यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे आप बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए, बार-बार अपनी आंखों, नाक या मुंह को न छुएं।
तरल पदार्थ लें
इन्फ्लुएंजा या कोई भी बीमारी होने पर सबसे जरूरी है कि आपके शरीर में पानी की कमी न हो। पर्याप्त पानी पी कर आपके शरीर से हानिकारक तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। पानी के अलावा आप अन्य हेल्दी तरल पदार्थ जैसे हर्बल टी या नारियल पानी आदि भी पी सकते हैं। फल-सब्जियां, साबुत अनाज ले सकते हैं।
क्या न खाएं
फुल फैट दूध या दूध से बनी चीज़ें, प्रोस्सेड फूड, कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय या कॉफी, एल्कोहॉल, तली हुई चीजें, अधिक नमक या चीनी युक्त आहार, मसालेदार खाद्य पदार्थ नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें खांसी के लिए मौजूद दवाईयां फायदेमंद साबित नहीं होती हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बिना इसे न लें। एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें।
घरेलू उपचार
1. एक चम्मच पिसी सोंठ में 4 दाने काली मिर्च का पाउडर मिलाकर ताजे पानी से सेवन करें।
2. 60 ग्राम अदरक, 10 ग्राम काली मिर्च, 2 ग्राम लोंग, 5 ग्राम तुलसी के बीज और 20 ग्राम गुड़ का काढ़ा बनाकर दिन में 4 बार लें।
3. 5 ग्राम राई पीसकर शहद के साथ सेवन करें। एक पोटली में थोड़ी राई रखकर बार बार सूंघते रहें।
4. एक चम्मच गाय के दूध में 1 चम्मच हल्दी डालकर पीयें, आराम मिलेगा।
5. तुलसी, मेलहटी, चिरैता, सोंठ, कटेरी की जड़, काली मिर्च और अदरक बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रात में सोने से पहले पीयें, राहत मिलेगी।
6. पानी में हींग घोलकर सूंघने से कंठ में जमा कफ और श्जेष्मा बाहर निकल जाता है और रोगी को आराम हो जाता है।
होम्योपैथी में उपचार
लक्षणानुसार एकोनाइट, बेलाडोना, एलियमसीपा, यूपेटोरियम पर्फ, नेट्रम्योर, आर्सेनिक एलबम, डलकामारा, चाइना, रसटास्क, ब्रायोनिया, यूफ्रेसिया आदि दवायें चिकित्सक की देखरेख में ली जा सकता है। इनफ्लुएजीनमं, यूपेटोरियम पर्फ, आर्सेनिंक एलबम आदि संक्रमण से पहले दी जा सकती हैं।
इक्सपर्ट परिचय
डा. वी.के. वर्मा, जिला अस्पताल बस्ती में तैनात आयुष विभाग के नोडल अधिकारी हैं। आपने करीब 35 साल के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर लाखों रोगियों का सफल इलाज किया है।
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