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Tuesday, August 9, 2022

जयपुर: JEE Main में जयपुर के पार्थ भारद्वाज ने हासिल की AIR -3 पॉजिशन, लक्ष्य अब भी सिविल सर्विसेज में जाना

जयपुर: JEE Main में जयपुर के पार्थ भारद्वाज ने हासिल की AIR -3 पॉजिशन, लक्ष्य अब भी सिविल सर्विसेज में जाना 

सोमवार 8 अगस्त को ज्वॉइंट एंट्रेस एग्जाम के मेन्स का रिजल्ट जारी हुआ है। इसमें जयपुर के पार्थ भारद्वाज ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक हासिल की है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार कम छात्रों का चयन हुआ लेकिन टॉप थ्री में जगह बनाकर जयपुर के पार्थ ने सफलता का परचम फहरा दिया है। एनबीटी से बात करते हुए पार्थ भारद्वाज ने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य को सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रेक करना है। ग्रेजुएशन के साथ यूपीएससी की तैयारी करूंगा क्योंकि उनका सपना आईएएस बनने का है।

सिस्टम में सुधार और आमजन को सीधे राहत पहुंचाने के लिए आईएएस बनुंगा

पार्थ भारद्वाज का कहना है कि आईएएस बनकर वे देश के सिस्टम में सुधार करना चाहते हैं। अभी तक सिस्टम में कई तरह की खामियां नजर आती रहती है। सब जानते हुए भी कोई उनमें सुधार की पहल करते नहीं दिखते। केन्द्र सरकार की योजनाओं का सीधा लाख गरीब जनता तक पहुंचाने के लिए एक आईएएस ही अच्छा सिस्टम तैयार कर सकता है। इसीलिए वे सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं। हालांकि अभी तो पार्थ को ग्रेजुएशन करना है। इसके लिए अच्छी कॉलेज की तलाश में जुटी हैं ताकि ग्रेजुएशन के साथ यूपीएससी की तैयारी भी की जा सके।

कोचिंग सिस्टम में भी सुधार की जरूरत है

पार्थ भारद्वाज ने बताया कि आजकल पहली क्लाश से ही बच्चों को ट्यूशन पढाया जाने लगा है। स्कूली दिनों में स्कूल की पढाई के साथ उसे कोचिंग भी लेनी होती है। सभी स्टेंडर्ड के लिए अब कोचिंग खुल गए हैं। बेशक कोचिंग पढाई का एक अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है लेकिन स्टुडेंट्स को केवल कोचिंग पर डिपेंड नहीं रहना चाहिए। केवल कोचिंग पर डिपेंड रहने के कारण कई स्टुडेंट्स डिप्रेशन में आकर गलत कदम उठा लेते हैं। पार्थ ने कोटा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के कई कोचिंग स्टुडेंट्स डिप्रेशन के चलते सुसाइड तक कर लेते हैं।

किताबी कीड़े बनने के बजाय प्लानिंग के साथ तैयारी करें

जेईई में अपनी सफलता के झंडे गाड़ने वाले पार्थ के मुताबिक सफलता हासिल करने के लिए स्टुडेंट्स को किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं है। प्लानिंग के साथ नियमित रूप से अध्ययन किया जाए और प्रोब्लम को सोल्व करते रहें तो कोई भी एक्जाम क्लियर किया जा सकता है। पार्थ ने कहा कि वे खुद कभी किताबी कीड़ा नहीं बना। नियमित रूप से पढाई वे नियमित रूप से गेम्स भी खेलता था लेकिन गेम्स को कभी पढाई में बाधा नहीं बनने दिया।
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