देश-दुनिया: पीएम मोदी बोले- मुझे मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचने की आदत, पढ़ें प्रवासी भारतीयों से क्या-क्या बोले प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को टोक्यो में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। इस दौरान लोगों ने मोदी-मोदी और जय श्री राम के नारे लगाकर पीएम मोदी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जब भी मैं जापान आता हूं तो मैं देखता हूं कि आपकी स्नेह वर्षा हर बार बढ़ती ही जाती है। आप में से कई साथी अनेक वर्षों से यहां बसे हुए हैं। जापान की भाषा, वेशभूषा, संस्कृति और खानपान एक प्रकार से आपके जीवन का भी हिस्सा बन गया है। ये हम लोगों की विशेषता है कि हम कर्मभूमि से तन-मन से जुड़ जाते हैं, खप जाते हैं, लेकिन मातृभूमि की जड़ों से जो जुड़ाव है, उससे कभी दूरी नहीं बनने देते हैं। यही हमारा सबसे बड़ा सामर्थ्य है।
उन्होंने कहा कि विवेकानंद जब अपने ऐतिहासिक संबोधन के लिए शिकागो जा रहे थे, उससे पहले वो जापान आए थे। जापान ने उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा हुआ था। जापान के लोगों की देशभक्ति, जापान के लोगों का आत्मविश्वास, स्वच्छता के लिए जापान के लोगों की जागरूकता की उन्होंने खुलकर प्रशंसा की थी। जापान से हमारा रिश्ता सामर्थ्य का है, सम्मान का है, विश्व के लिए साझे संकल्प का है। जापान से हमारा रिश्ता बुद्ध का है, बौद्ध का है, ज्ञान का है, ध्यान का है।
प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो में एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के विचारों पर, उनके बताए रास्ते पर चलने की बहुत जरूरत है। यही रास्ता है जो आज दुनिया की हर चुनौती, चाहे वो हिंसा हो, अराजकता हो, आतंकवाद हो, जलवायु परिवर्तन हो, इन सबसे मानवता को बचाने के लिए मददगार है।
उन्होंने कहा कि मुझे अपने जीवन में मिली शिक्षाओं की वजह से मैंने एक आदत विकसित की है। वह यह है कि मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता, मैं पत्थर पर लकीर खींचने में यकीन रखता हूं।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भी भारत और जापान के सांस्कृतिक संबंधों को हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। मैं काशी का सांसद होने के नाते बड़े गर्व से कह सकता हूं कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे जब काशी आए थे, तब उन्होंने एक बहुत बढ़िया सौगात काशी को दी। काशी में जापान के सहयोग से बना रुद्राक्ष और कभी मेरी कर्मभूमि रही अहमदाबाद में जेन गार्डन और कैजान अकादमी, ये ऐसी बातें हैं जो हमें निकट लाती हैं।
कोरोना पर क्या बोले पीएम मोदी
उन्होंने कहा कि कोरोना से दुनिया के सामने 100 साल का सबसे बड़ा संकट पैदा हुआ। ये जब शुरू हुआ तो किसी को पता नहीं था कि आगे क्या होगा। किसी को ये पता तक नहीं था कि इसकी वैक्सीन आएगी भी या नहीं आएगी, लेकिन भारत ने उस समय भी दुनिया के देशों को दवाएं भेजीं। भारत में भी कोविड के दौरान अनिश्चितता का माहौल था। उस समय भी भारत ने दुनिया के देशों को दवाएं भेजीं। जब वैक्सीन उपलब्ध हुईं तब भारत ने 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन अपने करोड़ों नागरिकों को भी लगाईं और दुनिया के 100 से अधिक देशों को भी भेजीं।
ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड पर भी बोले
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की आशा बहनों को डायरेक्टर जनरल्स- ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया है। भारत की लाखों आशा बहनें, मैटेरनल केयर से लेकर वैक्सीनेशन तक, पोषण से लेकर स्वच्छता तक, देश के स्वास्थ्य अभियान को गति दे रही हैं।
क्लाइमेट चेंज पर दिया बड़ा बयान
उन्होंने कहा कि आज क्लाइमेट चेंज विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण संकट बन गया है। हमनें भारत में इस चुनौती को देखा भी और उस चुनौती से स्थाई समाधान के लिए रास्ते खोजने के लिए भी हम आगे बढ़े। भारत ने 2070 तक नेट-जीरो के लिए कमिट किया है।
भारत में जनता की सरकार: मोदी
भारत में आज सही मायने में जनता के नेतृत्व वाली सरकार काम कर रही है। गवर्नेंस का यही मॉडल, डिलिवरी को असरदार बना रहा है। यही लोकतंत्र पर निरंतर मजबूत होते विश्वास का सबसे बड़ा कारण है।
अमृत महोत्सव पर भी बोले पीएम
उन्होंने कहा कि आज जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो वो आने वाले 25 साल यानी आजादी के 100वें वर्ष तक हिंदुस्तान को हमें किस ऊंचाई तक पहुंचाना है। आज देश उस रोडमैप को तैयार करने में लगा हुआ है। आपने अपनी स्किल्स से, अपने टैलेंट से अपनी एंटरप्रेन्योरशिप से जापान की इस महान धरती को मंत्रमुग्ध किया है। भारतीयता के रंगों और भारत की संभावनाओं से भी आपको जापान को लगातार परिचित कराना है। मेरा मानना है कि हर किसी को एक बार जापान आकर यहां का अनुशासन सीखना चाहिए।
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