उत्तर प्रदेश: गाज़ियाबाद: इंदिरापुरम: घरों पर जहरीली गैस का कब्जा, इंदिरापुरम के लोग पलायन को मजबूर
शक्ति खंड-4 और आसपास के इलाके में रहने वाले लोग यहां बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और डंपिंग यार्ड से बेहद परेशान हैं। हालात इतने खराब हैं कि लोग यहां से पलायन तक करने को मजबूर है। करीब 11 से 12 परिवार पिछले कुछ समय में यहां से दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं, कई इसकी तैयारी में हैं। लोगों का कहना है कि यहां से निकलने वाली गैस से जीना दूभर हो गया है। दिन रात-खिड़की दरवाजे बंद रखने पड़ते हैं। बदबूदार हवा से बच्चे व बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं। यही नहीं घर का सामान भी जल्दी खराब हो रहा है। उधर, इस मामले में एनबीटी ने अधिकारियों से पूछा कि आखिर क्या है इसकी वजह और कैसे इस समस्या से लोगों को निजात मिल सकती है।
घर में दुर्गंध भर जाने से आती है उल्टी
शक्ति खंड-4 सरदार पटेल रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी के वाइस प्रेजिडेंट, अनिल गुप्ता का कहना है कि रेजिडेंशल कॉलोनी के पास प्लांट और डंपिंग यार्ड नहीं होने चाहिए। घर में दुर्गंध भर जाने से उल्टी आती है। सालभर में एसी, कूलर व फ्रिज बदलने पड़ जाते हैं। इसे लेकर डीएम को पत्र भी भेजा गया है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। एनजीटी के आदेश पर भी डंपिंग यार्ड शिफ्ट नहीं हुआ। यहां बदबू के कारण कोई रहना नहीं चाहता
बेटे की इम्यूनिटी हो गई थी कमजोर
अहिंसा खंड-1 की जयपुरिया सनराइज में रहने वाले राहुल जोशी ने बताया कि 7 साल से मैं परिवार संग शक्ति खंड-4 में रह रहा था, लेकिन बदबू और स्मॉग से परेशान होकर मजबूरन एक महीने पहले घर बेचकर जयपुरिया सनराइज, अहिंसा खंड-1 में शिफ्ट हुआ हूं। वहां मेरे 5 साल के बेटे की इम्युनिटी कमजोर हो गई थी। वह अक्सर बीमार रहता था। मेरे पैरंट्स भी बीमार हो रहे थे। ऐसे में शिफ्ट करना के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
शिफ्ट करना ही बेहतर विकल्प
शक्ति खंड-4 में रहने वाले आशीष गुप्ता का कहना है कि बच्चों की सेहत को देखते हुए यहां से शिफ्ट करना ही बेहतर विकल्प समझ आया। एसटीपी और डंपिंग यार्ड की वजह से दिनभर खिड़की दरवाजे बंद रखने पड़ते। इससे ताजी हवा भी घर में नहीं आती। बदबू से घर में सो भी नहीं पाते।
घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल जरूरी: एक्सपर्ट
शक्ति खंड-4 में रहने वाले ऑस्टियोपैथी डॉ. अजय कुमार का कहना है किसी भी तरह की दुर्गंध से एलर्जी, अस्थमा की दिक्कत, फेफड़े से जुड़ी समस्या, श्वासनली में सूजन और निमोनिया जैसी दिक्कतें आम हैं। ऐसे में बाहर मास्क और घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल जरूरी है।
अधिकारी एक-दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी
जलनिगम के एक प्लांट से निकली है बदबूदार गैस: जीडीए
जीडीए के एग्जिक्युटिव इंजीनियर एके चौधरी ने कहा कि शक्ति खंड-4 इंदिरापुरम का आखिरी हिस्सा है। यहां 3 एसटीपी प्लांट लगे हैं। इनमें 1 जीडीए का है, जो नई तकनीक वाला है। वहीं दो प्लांट जलनिगम के हैं, दोनों प्लांट में एक एडवांस्ड तो दूसरा पुरानी तकनीक का है, उसी से बदबूदार गैस निकलती है।
नगर निगम के डंपिंग यार्ड से ज्यादा दिक्कत : जलनिगम
उत्तर प्रदेश जलनिगम के जूनियर इंजीनियर विपिन प्रजाति ने बताया कि प्लांट से H2s गैस निकलने से आसपास के कूलर और एसी जल्दी खराब हो जाते हैं। दो में से एक प्लांट की तकनीकी भले ही पुरानी है, लेकिन सफल है। यूएसबी रिएक्टर ढंग से काम कर रहे हैं। नगर निगम ने डंपिंग यार्ड बनाया है, उससे भी गैस निकलती है। डंपिंग यार्ड का कोई ट्रीटमेंट नहीं किया जा रहा है। वहीं, जल निगम के जनरल मैनेजर संजय गौतम ने बताया कि एसटीपी प्लांट में से एक 20 साल पुराना है। अभी बदबू आने का कारण पॉन्ड्स में गंदगी भर जाना है, जिसकी सफाई हो रही है। सरकार ने इसकी मेंटिनेंस का काम वीएटेक कंपनी को दे रखा है।
वीएटेक कंपनी: डंप हो रहे कूड़े से निकल रही गैस
वीए टेक कंपनी के प्रॉजेक्ट मैंनेजर रजनीश का कहना है कि नगर निगम ने प्लांट के बगल में 3 लाख टन कूड़ा इकट्ठा कर दिया है। गीले-सूखे कूड़े को अलग नहीं किया गया है। जमीन पर एसडीपी कवरिंग नहीं हुई है। कूड़ा इकट्ठा होने के कुछ समय बाद डीकम्पोज होना शुरू हो जाता है, उसके तीसरे से चौथे दिन बाद गैस निकलनी शुरू हो जाती है। यहीं से मीथेन गैस निकलती है। उसी से आसपास के इलाकों में बदबू आती है। हमारे एसटीपी प्लांट्स 100 फीसदी रिजल्ट दे रहे हैं। पलूशन कंट्रोल बोर्ड हर हफ्ते हमारे काम को वैरिफाई करता है। डिप्टी प्रॉजेक्ट मैनेजर सकल शर्मा ने बताया कि प्लांट के पास बना डंपिंग यार्ड योजनबद्ध नहीं है। नीचे लैंड फिल और लाइनिंग न होने से कचरे की गंदगी जमीन में चली जाती है। इससे गैस बनती है।
हर सोमवार इलाके में किया जाता है पलूशन चेक
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रीजनल मैनेजर उत्सव शर्मा बताते हैं कि हर सोमवार को इलाके में पलूशन चेक होता है। इसकी रिपोर्ट आने में 4 से 5 दिन लगते हैं। मानक के हिसाब से बढ़ा हुआ आता है तो जुर्माना लगता है। पहले सीवेज का पानी निकलने की लाइन नहीं थी। ऐसे में ज्यादा समस्या थी। हमने ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम के निर्देश दिए हैं, ताकि 24 घंटे की जानकारी रहे। देखा जाए तो जीडीए के प्लांट में नई तकनीक है और इनसे गैस कम निकलती है। पुराने प्लांट्स में पहले जो समस्या थी उसका काफी हद तक समाधान किया गया है।
'सोसायटियों से ही कूड़े को अलग-अलग करके देना होगा'
नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश बताते हैं कि एक घर से रोजाना 450 ग्राम कूड़ा निकलता है, जिसमें गीला, सूखा कूड़ा, सेनेटरी, हेजार्ड (सीएफएल, बैटरी, ट्यूबलाइट्स, केमिकल, पेंट के डब्बे) भी होते हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट 2016 के नियमानुसार, लोगों को घर से कूड़ा अलग-अलग करके देना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं। सोसायटियों के लोग ही नियम तोड़ते हैं। ऐसे में शक्ति खंड-4 में हवा साफ रखने के लिए जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
इन पर होगा काम
- एक-दो महीने में मियावाकी फॉरेस्ट (जापानी तकनीक) के तहत इस एरिया में पौधरोपण होगा।
- डंपिंग यार्ड में जो वेस्ट था, उसे प्रोसेस्ड कर दिया गया है, शेष प्रोसेस्ड करके शिफ्ट करेंगे।
- सोसायटियों से निकले सूखे कूड़े को नगर निगम को देने और गीले कूड़े से वहीं खाद बनाई जाएगी। इसके लिए जल्द ही सोसायटियों में नोटिस दिया जाएगा।
बदबूदार गैस से हो रहीं दिक्कत
घर के फ्रिज-कूलर साल भर के अंदर ही खराब हो रहे
- घर के बर्तन, भगवान की चांदी की मूर्तियां काली पड़ रहीं
- लोगों की सेहत खासकर बुजुर्ग और बच्चे जल्दी बीमार पड़ रहे
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