उत्तर प्रदेश: गाजियाबाद-चोरी करके खुद दर्ज करवाते FIR, फिर ऐसे कमाते थे मुनाफा
एफआईआर... नाम सुनते ही थाने-कोर्ट के चक्कर लगाने वाली तस्वीर सामने आती होगी। लेकिन, गैंग्स ऑफ इंशाद इसी एफआईआर से मुनाफा कमाता था, ट्रक चोरी करने वालों का यह गैंग है। बदमाश इतने शातिर हैं कि एसपी देहात डॉ. ईरज राजा भी इन्हें सामान्य चोर नहीं मानते। कहते हैं कि इनका पूरा एक सिस्टम है। प्रफेशनल प्लानिंग से गैंग चलाते थे। हर बदमाश की जिम्मेदारी तय थी।
यह चर्चित मामला है यूपी में गाजियाबाद के भोजपुर का। गैंग लीडर इंशाद मैनेजर की भूमिका में था। जीशान, फरियाद, संजय सोनी और राहुल एक प्रफेशनल की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते थे। 13 ट्रक और एक कैंटर बरामद किए गए हैं। इस गैंग के 30 से ज्यादा ट्रक अभी रोड पर हैं। गैंग का खुलासा गाजियाबाद के भोजपुर थाना पुलिस ने किया है।
ट्रक फाइनैंस करवाने वाले होते थे निशाने पर
ट्रक फाइनैंस कराने वाले इस गैंग के निशाने पर होते थे। किस्त जमा नहीं होने पर ये अपने गुर्गों से उनके पास तक अपनी कहानी भिजवाते थे। ट्रक मालिक से मीटिंग इंशाद करता। ट्रक अपने कब्जे में लेने के बाद इंशाद ढुलाई में लगा देता। दूसरी तरफ गैंग का एक बदमाश ट्रक मालिक को थाने लेकर जाता और चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराता।
नीलामी वाले ट्रक के कागज से चलवाते थे चोरी का ट्रक
अब बारी आती राहुल, संजय और फरियाद की। इनके जिम्मे ट्रक के कागज तैयार कराने का काम होता था। पुलिस और फाइनैंस कंपनियों की तरफ से नीलाम किए गए सस्ते ट्रक यह गैंग खरीदता था। इन ट्रकों के चेसिस, इंजन और रजिस्ट्रेशन नंबर को किस्त न चुकाने वाले ट्रकों पर दर्ज करवा देते थे। फिर नीलामी वाले ट्रक के कागज से इस ट्रक को रोड पर चलाना शुरू कर देते।
ऐसे करते थे शातिर खेल
गैंग नीलामी के ट्रक को कबाड़ी को बेचकर रुपये ले लेते थे। एसपी देहात ने बताया कि एक ही इंजन, चेसिस और रजिस्ट्रेशन नंबर के 2 ट्रक भी चलते हुए मिले। ऐसे ट्रक जब पुराने हो जाते तो उन्हें कबाड़ी के यहां कटवा देते थे।
दूसरी तरफ चोरी का केस दर्ज होने के बाद पुलिस खोजती रहती, लेकिन कागज से लेकर इंजन, चेसिस नंबर तक बदले ट्रक का कुछ पता नहीं चल पाता था। पुलिस फाइनल रिपोर्ट लगा देती और ट्रक मालिक इंश्योरेंस से क्षतिपूर्ति लेकर अलग हो जाता था।
इस तरह खुला केस
कुछ मामलों में किराये पर लगवाने की बात कहकर इंशाद ट्रक लेता था। बाद में चोरी की बात कहकर ट्रक कब्जा लेता। चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती। फिर गैंग के लोग आगे की कार्रवाई अपने प्लान के अनुसार ही करते थे। भोजपुर के रहने वाले एक व्यक्ति ने जीशान से संपर्क किया था। उस व्यक्ति ने अपने ससुर का ट्रक इस गैंग को दे दिया।
इंशाद ने दूसरे ट्रक का चेसिस, इंजन और रजिस्ट्रेशन नंबर इस पर चढ़वा दिया। बाद में चोरी की बात कहकर पुलिस के पास जाने की सलाह दी। भोजपुर थाने में दर्ज यही एफआईआर गैंग्स ऑफ इंशाद के लिए शिकंजा बन गई। जांच में पुलिस ने गैंग के इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया।
100 से ज्यादा ट्रकों को ठिकाने लगा चुका है गैंग
जब तक ट्रक कमाकर देने लायक होता, यह गैंग उसे रोड पर खूब चलवाता। लेकिन, जब वह मेंटिनेंस मांगने लगता तो स्क्रैप का काम करने वालों से मिलकर कटवा देते थे। बदमाशों के पास से ऐसे ट्रकों की एक लिस्ट पुलिस को मिली है।
पुलिस के अनुसार, 100 से ज्यादा ट्रकों की उस लिस्ट में डिटेल थी। मुजफ्फरनगर में स्क्रैप का काम करने वाले विक्की और एक अन्य की भी पुलिस तलाश कर रही है।
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