छत्तीसगढ़: शहीद जवान की होने वाली थी शादी, अब घर में पसरा है मातम
नारायणपुर में जिला रिजर्व गार्ड के जवान वाहन चालक देवकरन देहारी की शादी अगले महीने की 21 तारीख को तय थी लेकिन इससे पहले ही देहारी और उनके चार साथियों की नक्सली घटना में मृत्यु हो गई। लोग उन्हें करन के नाम से बुलाते थे।जिले के बारसूर-पल्ली मार्ग पर मरोड़ा गांव के करीब नक्सलियों ने बीते मंगलवार को बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सुरक्षा बलों की बस को निशाना बनाया था। इस घटना में डीआरजी के पांच जवान शहीद हो गए थे तथा 13 अन्य जवान घायल हुए।इस वर्ष की सबसे बड़ी नक्सली घटना के बाद से शहीद जवानों के घरों में मातम पसरा हुआ है। वहीं, करन की मौत के बाद से उनके परिवार के सदस्य भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि जिसके सिर पर वह सेहरा बांधने की तैयारी में थे उन्होंने अपने हाथ से उसका अंतिम संस्कार किया है।देहारी परिवार के मित्र डॉक्टर सत्येंद्र नाग बताते हैं कि करन पड़ोसी कांकेर जिले के पोड़गांव के निवासी थे। बीते रविवार को करन ने नारायणपुर जिला मुख्यालय स्थित एक दुकान से अपनी शादी का निमंत्रण पत्र एकत्र किया था।नाग बताते हैं कि रात में भोजन के बाद करन ने कहा था कि नक्सल विरोधी अभियान से वापस आने के बाद वह मित्रों और रिश्तेदारों को विवाह का निमंत्रण पत्र देना शुरू करेंगे।जिले में आयुर्वेद अधिकारी नाग कहते हैं कि नहीं पता था कि करन से यह अंतिम मुलाकात है और उनके साथ वह अंतिम बार भोजन कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि करन ने उन्हें यह भी बताया था कि इन दिनों वह अतिरिक्त ड्यूटी कर रहे हैं जिससे शादी के दौरान अधिक दिनों की छुट्टी मिल सके।नाग ने बताया कि वह करन के परिवार से लंबे समय से परिचित हैं। वर्ष 2010 में पुलिस में भर्ती होने से पहले करन इस शहर में वाहन चालक का काम करते थे।उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद से करन का जिस लड़की से विवाह होने वाला था वह यकीन ही नहीं कर पा रही है कि वह इस दुनिया में नहीं है। करन और युवती पिछले लगभग नौ वर्षों से रिश्ते में थे।नाग ने बताया कि युवती पड़ोसी जिले कोंडागांव के धनोरा गांव की निवासी है। युवती ने दुर्ग जिले के कॉलेज से नर्सिंग का कोर्स पूरा किया तथा एक महीने पहले ही नारायणपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में उसकी नियुक्ति हुई थी।उन्होंने बताया कि उनके घर के करीब ही करन और युवती ने एक जमीन खरीदी थी। वह शादी के बाद यहीं घर बनाकर रहने वाले थे। नक्सली घटना में करन की मृत्यु ने उनके वृद्ध माता-पिता, भाई और युवती सभी के सपनों को तोड़कर रख दिया है।देवकरन देहारी नारायणपुर क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से वाहन चालक का काम कर रहे थे। यही कारण है कि उन्हें जंगल के भीतरी रास्तों के बारे में भी अच्छी जानकारी थी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में समाचार के लिए जाने वाले संवाददाताओं के साथ भी देवकरन के बेहतर रिश्ते थे।छत्तीसगढ़ के स्थानीय समाचार चैनल में काम कर चुके पत्रकार हेमंत पाणिग्रही कहते हैं कि करन उनके छोटे भाई की तरह थे। जब भी वह समाचार के लिए नारायणपुर गए वह वहां जरूर उपस्थित रहते थे।पाणिग्रही बताते हैं पुलिस में भर्ती होने के बाद उनकी करन से मुलाकात नहीं हो पाई। हालांकि, इस दौरान कई बार फोन से बातचीत जरूर हुई है।
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