वाराणसी : काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मस्जिद केस में नया मोड़
अयोध्या के बाद अब काशी और मथुरा को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। गुरुवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद केस में नया मोड़ सामने आया। वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट ने आदि विशेश्वर श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार वाले याचिका को स्वीकार कर लिया है।
आदि विशेश्वर मां श्रृंगार गौरी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन सहित कुल 9 लोगों ने वाराणसी के सिविल जज के कोर्ट में पूजा के अधिकार वाली याचिका को दाखिल किया था। वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार सिंह की कोर्ट ने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से पक्ष मांगा था। जिस पर इन दोनों ने आपत्ति जताते हुए इस याचिका को खारिज करने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने उनके आपत्तियों को दरकिनार कर इस याचिका को स्वीकार कर लिया।
आदि विशेश्वर श्रृंगार गौरी के पक्ष के वकील मनमोहन यादव ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद-25 में पूजा स्थल पर हिंदुओं के पूजन-दर्शन को उनका मौलिक अधिकार में शामिल किया है। इसी अनुच्छेद के तहत ज्ञानवापी मस्जिद को हटाकर वहां स्थापित मंदिरों में पूजा के अधिकार के लिए अनुमति मांगी गई है। जिस पर कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गई है।
आठ लोगों को बनाया गया है पार्टी
आदि विशेश्वर श्रृंगार गौरी वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया मामले में दाखिल याचिका में केंद्रीय गृह सचिव, श्री विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, अंजुमन इंतजामिया, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, वाराणसी डीएम सहित कुल 8 लोगों को इसमें पार्टी बनाया गया है।
ये है मामला
बदलते बनारस की तस्वीर बनने वाले विश्वनाथ धाम (विश्वनाथ कॉरिडोर) में 350 साल बाद इतिहास दोहराया जाएगा। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब के फरमान से आदि विश्वेश्वर मंदिर तोड़े जाने के दौरान बचे पौराणिक ज्ञानवापी कूप और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर के समय के विशाल नंदी को काशी विश्वनाथ मंदिर के परिक्रमा मंडप में शामिल किया जा रहा है।
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Abhishek Jaiswal
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