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Thursday, February 4, 2021

बॉर्डर पर किलेबंदी, संकरी गली से आवाजाही, किसानों का चलता आंदोलन

 बॉर्डर पर किलेबंदी, संकरी गली से आवाजाही, किसानों का चलता आंदोलन 

 किसान आंदोलन के कारण पिछले 70 दिनों से दिल्ली के तीन बॉर्डर पूरी तरह से बंद हैं. जिन बॉर्डर को बंद किया गया है, उसमें टीकरी बॉर्डर भी शामिल है. टीकरी, दिल्ली और हरियाणा का बॉर्डर है. बॉर्डर पर किसानों का अनवरत रूप से जारी है, लेकिन 26 जनवरी की हिंसा के बाद सुरक्षा व्यवस्था सख्त है.  टीकरी मेट्रो स्टेशन महीनों से बंद पड़ा हुआ है और ठीक इसके नीचे से हरियाणा की तरफ जाने वाले रास्ते पर पुलिस की पहली बैरिकेडिंग है. 24 घंटे यहां दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान मौजूद रहते हैं. इसके आगे जवानों और मीडियाकर्मियों के अलावा किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं है. 

रोजाना कामकाज के लिए दिल्ली से हरियाणा आने-जाने वाले लोग इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, तो सवाल ये है कि महीनों से वो कैसे सफर कर रह हैं? आजतक से बात करते हुए एक राहगीर ने बताया कि अब लोग पार्किंग वाली कच्ची सड़क का इस्तेमाल करके गलियों से होते हुए  हरियाणा के बहादुरगढ़ की तरफ जाते हैं. गालियां भी बेहत संकरी हैं. खास बात है कि इसी रास्ते से लोग भी जाते हैं और गलियों में सब्जी और जरूरत का सामान बेचने वाले भी. 

यहां से थोड़ी दूर बढ़ने पर हमें दिखा वो सुरक्षा कवच जो अमूमन सरहद पर देखने को मिलता है, सड़क और कील गड़े हुए हैं, सीमेंटेड बेरिकेटिंग, सड़क को 4 तरीके से पूरी तरह से सील कर दिया गया है. हर तरफ कहीं एसएसबी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी या किसी दूसरी या किसी दूसरी विंग के जवान चहलकदमी करते दिखाई देंगे. 

टीकरी बॉर्डर पर धरने का संचालन सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसान नेता ही कर रहे हैं, यहां कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं है, लेकिन एक संगठन जो पिछले  दिनों दिल्ली हिंसा के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम को रिहा करने की मांग को लेकर पोस्टर के साथ प्रदर्शन करता दिखाई दिया था, वो सबसे ज्यादा सक्रिय है. 

मेट्रो पिलर के ठीक नीचे सड़कों पर ही किसानों के बड़े-बड़े टेंट लगे हैं. ट्रैक्टर आशियाना बना हुआ है. लंगर चल रहा है चल रहा है और किसान कृषि कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं.

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